म्यांमार में आपातकाल की घोषणा, सैन्य हिरासत में ली गईं नोबेल विजेता आंग सान सू; नाराज अमेरिका ने दी कार्रवाई की चेतावनी
म्यांमार में एक बार फिर से लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। वहां सेना ने तख्तापलट कर दिया है। देश की नेता नोबेल विजेता आंग सान सू और राष्ट्रपति यू विन म्यिंट को हिरासत में ले लिया गया है। देश में एक साल के लिए इमरजेंसी लगा दी गई है।

म्यांमार में एक बार फिर से लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। वहां सेना ने तख्तापलट कर दिया है। देश की नेता नोबेल विजेता आंग सान सू और राष्ट्रपति यू विन म्यिंट को हिरासत में ले लिया गया है। देश में एक साल के लिए इमरजेंसी लगा दी गई है। नाराज अमेरिका ने कार्रवाई की चेतावनी दी है।
इससे पहले म्यांमार में 1962 में तख्तापलट किया गया था जिसके बाद 49 साल तक सेना का शासन रहा था। पिछले वर्ष आठ नवंबर को हुए आम चुनाव में व्यापक धांधली के बाद सेना द्वारा जनवरी में तख्ता पलट की आशंका व्यक्त की जा रही थी। नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के प्रवक्ता मायो न्यांट ने बताया कि म्यांमार की काउंसलर आंग सान सू को सुबह हुई छापेमारी में हिरासत में लिया गया है।
गौरतलब है कि पिछले साल के चुनाव में सू की पार्टी ने संसद के निचले और ऊपरी सदन की कुल 476 सीटों में से 396 पर जीत दर्ज की थी। यह बहुमत के आंकड़े 322 से कहीं अधिक था। लेकिन वर्ष 2008 में सेना द्वारा तैयार किए गए संविधान के तहत कुल सीटों में 25 प्रतिशत सीटें सेना को दी गई हैं जो संवैधानिक बदलावों को रोकने के लिए काफी है। कई अहम मंत्री पदों को भी सैन्य नियुक्तियों के लिए सुरक्षित रखा गया है। सोमवार को म्यामांर के सांसद राजधानी नेपीता में संसद के पहले सत्र के लिए आने वाले थे।
सू (75) देश की सबसे अधिक प्रभावी नेता हैं और देश में सैन्य शासन के खिलाफ दशकों तक चले अहिंसक संघर्ष के बाद वह देश की नेता बनीं। सेना ने चुनाव में धोखाधड़ी का आरोप लगाया। हालांकि वह इसके सबूत देने में नाकाम रही। देश के इलेक्शन कमीशन ने पिछले सप्ताह सेना के आरोपों को खारिज कर दिया था।
Myanmar's military has taken control of the country for at least a year and detained civilian leaders, military TV say https://t.co/r240Fiy2HR
— BBC Breaking News (@BBCBreaking) February 1, 2021
पिछले सप्ताह उस वक्त राजनीतिक तनाव पैदा हो गया जब सेना के एक प्रवक्ता ने अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में एक पत्रकार के सवाल के जवाब में सैन्य तख्तापलट की आशंका से इनकार नहीं किया। मेजर जनरल जॉ मिन तुन ने कहा था कि सेना ”संविधान के मुताबिक कानून का पालन करेगी।
सेना का कहना है कि उसने एक साल के लिए देश को अपने नियंत्रण में ले लिया है। बताया जा रहा है कि ये कदम सरकार और सेना के बीच बढ़ते तनाव के बाद उठाया गया है। चुनाव के बाद सेना और सरकार के संबंध बेहद तल्ख हो गए थे। सेना ने राजधानी नेपीता में संचार के सभी माध्यमों को बैन कर दिया है। फोन और इंटरनेट सर्विस को निलंबिद कर दिया गया है। आंग सान सू की की पार्टी नेशनल लीग डेमोक्रेसी पार्टी तक एक्सेस को भी खत्म कर दिया गया है।