जिस तरह से हमारे देश की करेंसी पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर छपती है तो वहीं दूसरी देशों में भी वहां की महान शख्सियतों को भी नोट पर प्रिंट किया जाता है। ये वो शख्सियत होती हैं जिन्होंने अपने वतन के लिए किसी भी मामले में सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया हो। ये शख्सियत किसी भी क्षेत्र से संबंधित हो सकती हैं। लेकिन क्या आपने सुना है कि किसी देश की करेंसी पर एक महान बल्लेबाज की तस्वीर छपी हो। जी हां, ऐसे महान क्रिकेट का नाम है वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान फ्रैंक वॉरेल। जो अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी महानता और मानवता के किस्से आज भी वेस्टइंडीज के लोग याद करते हैं। फ्रैंक दुनिया के एकलौते खिलाड़ी हैं जिनकी तस्वीर barbados देश की करेंसी पर छप चुकी है। यहां हम आपको फ्रैंक से जुड़ी तमाम बातें बता रहे हैं जिनके बारे में आपने शायद ही पहले कभी सुना होगा। आइए डालते हैं फ्रैंक वॉरेल के क्रिकेट करिअर और उनकी पर्सनल लाइफ पर एक नजर। (All Pics- Twitter) 1941 में जब फ्रैंक ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कदम रखा तो क्रिकेटप्रेमी उनके खेलने के अंदाज को देख क्रेजी हो गए थे। क्रिकेट पिच पर वह जितने अक्रामक ऑलराउंडर थे और लोगों के बीच उतने ही उदार हृदय वाले इंसान थे। -
फ्रैंक क्रिकेट की महान हस्तियों में गॉड ऑफ क्रिकेट सचिन तेंदुलकर, कपिल देव, सुनील गावस्कर, विवियन रिचर्ड्स, ब्रायन लारा, सर डॉन ब्रैडमैन जैसे दिग्गद खिलाड़ियों की तरह का लोकप्रिय प्लेयर तो नहीं बन पाए लेकिन एक अच्छे इंसान जरूर बने।
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फ्रैंक वॉरेल ऐसे खिलाड़ी हैं जिनकी महानता के किस्से भारतीय टीम के पुराने खिलाड़ियों के बीच भी लोकप्रिय हैं। एक ऐसा मौका था जब इस महान खिलाड़ी ने अपना खून देकर टीम इंडिया के कप्तान की जान बचाई थी।
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1962 में जब टीम इंडिया वेस्टइंडीज दौरे पर गई तो एक मैच के दौरान भारतीय कप्तान नारी कॉन्ट्रैक्टर को गहरी चोट लग गई, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। तब उन्हें डॉक्टरों ने खून की जरूरत बताई थी और फ्रैंक को जैसे ही मालूम चला तो उन्होंने तुरंत अपने शरीर से ब्लड डोनेट किया था। फ्रैंक की बल्लेबाजी को उस दौर में लोग काफी पसंद करते थे और उनमें अच्छे नेतृत्व की भी क्षमता थी।
उनके खेल और महानता के किस्से उस दौर की अखबारों की हेडलाइन में भी खूब छपते थे। उस वक्त वेस्टइंडीज में स्थित गोरों के वर्चस्व के बीच फ्रैंक पहले एकलौते अश्वेत व्यक्ति थे जिन्हें वेस्टइंडीज का कप्तान बनाया गया था। इसके बाद उन्होंने विंडीज की टीम की क्षमता को आगे बढ़ाया। खेल के प्रति सर्वश्रेष्ठ योगदान को देखते हुए ही Central bank of barbados ने अपने डाक टिकट और करेंसी नोट पर फ्रैंक की तस्वीर छापनी शुरू की थी। फ्रैंक वॉरेल की मौत 42 साल में ही हो गई थी। फ्रैंक को उनके विरोधी भी काफी पसंद करते थे।
