देश के इन प्रसिद्ध मंदिरों में पुरुषों के प्रवेश पर है रोक, परिसर में जा सकतीं सिर्फ महिलाएं
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भारत के विभिन्न राज्यों में ऐसे तमाम मंदिर हैं जहां पर महिलाओं के प्रवेश की मनाही है। पिछले काफी महीनों से केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर कोर्ट में बहस छिड़ी रही। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद इस मंदिर में हाल ही में दो महिलाओं ने भगवान अयप्पा के दर्शन किए। हालांकि केरल में महिलाओं के प्रवेश को लेकर अब भी विरोध प्रदर्शन जारी है। लेकिन लंबी लड़ाई के बाद इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को कोर्ट द्वारा हरी झंड़ी मिल गई है। लेकिन आपको बता दें कि देश में कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जहां सिर्फ महिलाओं का प्रवेश है और पुरुषों की मनाही है। यहां हम आपको देश के ऐसे ही मंदिरों के बारे में बता रहे हैं जहां पुरुषों को जाने की अनुमति नहीं है जबकि महिलाओं के लिए किसी तरह की रोक-टोक नहीं है। इनमें से ऐसे भी मंदिर हैं जहां पर महिलाओं की पूजा भी की जाती है।
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केरल के अट्टुकल मंदिर में पुरुष का जाना वर्जित है। 2016 में पोंगल के त्योहार के दौरान 4.5 करोड़ महिला भक्तों ने मंदिर में प्रवेश किया था। इस मंदिर का नाम गिनीज वर्ल्ड बुक के रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है। नवरात्रों में इस मंदिर में भक्तों की संख्या ज्यादा बढ़ जाती है।
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तमिलनाडु़ के कन्याकुमारी में मां भगवती के मंदिर में देवी को एक कन्या रूप में पूजा जाता है। यहां पर महिलाएं पूजा करने के लिए जाती हैं लेकिन पुरुषों की मनाही है। हालांकि साधु-संत मंदिर के प्रशासन की अनुमति लेकर यहां प्रवेश कर सकते हैं। यह वो जगह जहां पर मां पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति को रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।
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महाराष्ट्र के नासिक में स्थित त्रिम्बकेश्वर मंदिर में जहां पहले महिलाओं को जाने की इजाजत नहीं थी लेकिन बाद में यह मामला बाम्बे हाईकोर्ट पहुंचा। कोर्ट का फैसला महिलाओं के पक्ष में आया और अब मंदिर के आंतरिक परकोटे में पुरुषों के प्रवेश को लेकर रोक लगी है।
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असम में कामरूप कामाख्या मंदिर स्थित है। यह मंदिर केवल महिलाओं को माहवारी चक्र के दौरान परिसर में प्रवेश की अनुमति देता है। यहां पर केवल महिला पुजारी या संन्यासी मंदिर की सेवा करते हैं, जहां मां सती के माहवारी के कपड़ों को प्रसाद के रूप में भक्तों को वितरित किया जाता है। माना जाता है कि भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र के साथ मां सती को काट दिया था, जिसके कारण उनकी कमर उस स्थान पर गिर गई थी, जहां मंदिर बनाया गया था। दुनिया का यह पहला ऐसा मंदिर हैं जहां पर माहमारी को पवित्र माना जाता है।
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देशभर में ब्रह्मा जी का एकलौता मंदिर राजस्थान के पुष्कर में हैं, जहां पर शादीशुदा पुरुष के प्रवेश को लेकर रोक लगी है। विवाहित पुरुषों पर यह पाबंदी आज से नहीं बल्कि यह नियम 14 वीं शताब्दी से बना हुआ है। पुराणों में बताया गया है कि एक बार भगवान ब्रह्मा ने पुष्कर झील के किनारे एक यज्ञ करने की योजना बनाई। इस दौरान मां सरस्वती थोड़ा लेट से पहुंची, जिसके चलते ब्रह्मा जी से गायत्री के साथ यज्ञ संपन्न किया। सरस्वती को ब्रह्मा जी यह बात पसंद नहीं आई और वह नाराज हो गईं। तब उन्होंने ब्रह्मा जी के मंदिर को श्राप दिया कि "किसी विवाहित व्यक्ति को आंतरिक परकोटे में जाने की इजाजत नहीं होगी और अगर फिर भी ऐसा कोई करता है तो उसके वैवाहिक जीवन में एक समस्या उत्पन्न होगी। यही वजह है कि इस मंदिर में विवाहित पुरुष नहीं जाते। हालांकि मंदिर के अंदर विवाहित और अविवाहित महिलाओं के प्रवेश पर किसी तरह की पाबंदी नहीं है।
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बिहार के मुजफ्फरपुर में स्थित दुर्गा माता के मंदिर में पुरुषों के प्रवेश को लेकर पाबंदी लगी है। एक तय समय में यहां पुरुषों को परिसर में प्रवेश करने से मना किया जाता है। इस दौरान सिर्फ महिलाएं ही मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं। मंदिर प्रशासन के कानून पुजारियों के लिए भी कड़े हैं।
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केरल के छक्कूलाथुकावु मंदिर में मां भगवती का मंदिर है जिन्हें दुर्गा का अवतार बताया जाता है। इस मंदिर में महिलाओं को पूजा जाता है। यहां के मंदिर के पुजारी दिसंबर के माह में महिलाओं के लिए 10 दिन का व्रत रखते हैं और पहले शुक्रवार को महिला श्रद्धालुओं के पैर धोते हैं। इस पूजा के दौरान पुरुषों का जाना वर्जित है।
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संतोषी मां के मंदिरों में भी पुरुषों की मनाही है। महिलाएं और कुंवारी कन्याएं संतोषी मां के लिए व्रत करती हैं। इस व्रत में महिलाओं को खट्टी चीजें खाने की अनुमति नहीं होती लेकिन शुक्रवार को मां के मंदिर में पुरुषों के प्रवेश पर पाबंदी है। हालांकि वे मां संतोषी का व्रत रख सकते हैं लेकिन शुक्रवार को वह मंदिर नहीं जा सकते।