एक बच्चा गोद में, दूसरे की अंगुली हाथ में तो किसी के आंखों में पति की मौत का दर्द- सड़क पर भटकती महिलाओं के हर आंसू की है अलग कहानी
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कोरोना वायरस के कारण हुए देशव्यापी लॉकडाउन के करीब 2 महीने बाद भी प्रवासी मजदूरों और गरीबों का पलायन बदस्तूज जारी है। सरकार की तरफ से इन लोगों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के संचालन के बावजूद भी स्थिति ऐसी बनी है कि ये लाचार पैदल ही अपने घरों का रुख किए हुए हैं। मई की तपती दुपहरी की चिलचिलाती धूप में आंखों में आंसूं और कंधे पर बच्चों का बोझ लिए मजदूरों औऱ गरीबों के पलायन की ढरों हृदय विदारक कहानियां सामने आई हैं।
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यह तस्वीर 22 वर्षीय प्रियंका की है। प्रियंका दिल्ली में बतौर नौकरानी काम करती थीं। लॉकडाउन के बाद स्थिति ऐसी बनी कि यह पैदल ही यूपी के एटा स्थित अपने गांव के लिए निकल पड़ीं। तस्वीर दिल्ली के संगम विहार से शनिवार रात 11 बजे की है। प्रियंका के साथ उनके दो बच्चे दिख रहे हैं। प्रियंका के पीछे उनके बीमार पति भी तीसरे बच्चे का हाथ पकड़ पैदल चल रहे हैं। (Photo: Renuka Puri/Indian Express)
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यह तस्वीर बिहार के सासाराम की रहने वालीं सुनीता की है। सासाराम में सुनीता के पति का देहांत हो चुका है। पति की लाश घर पर ही रखी हुई है। सुनीता के छोटे-छोटे बच्चे भी सासाराम में ही हैं। ऐसे मुश्किल हालात के कारण उन्हें घर जाना पड़ रहा है। जब यूपी गेट के पास दिल्ली-यूपी बॉर्डर क्रॉस नहीं करने दिया गया तो सुनीता का दर्द आंसूं बनकर छलक पड़ा। (Photo: PTI)
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यह तस्वीर अमृतसर से बिहार जा रही एक महिला की है। रेलवे स्टेशन के लिए जब इन्हें बस मिली तो भावनाएं आंसू में तब्दील हो गए। (Photo: PTI)
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मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में ऐसे ढेरों मंजर देखने को मिल रहे हैं जिनमें अपना हाल बयां करते हुए महिलाओं की आंखे डबडबा जा रही हैं। (Photo: ANI)
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इन तस्वीरों पर सोशल मीडिया में काफी तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। पैदल अपने घर लौट रहे इन लोगों की हालत देख लोग सरकार को कोस रहे हैं। (Photo: PTI)
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सरकार की तरफ से बार-बार ये दावा किया जा रहा है कि सबको उनके गंतव्य तक छोड़ने के लिए हम पूरे इंतजामात कर रहे हैं। हालांकि तमाम सरकारी दावों के बाद भी सड़कों पर जो तस्वीरें दिख रही हैं उसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। गोद में बच्चा और सिर पर बोझा: इधर ‘आत्मनिर्भर’ बना रहे थे पीएम, उधर इस हाल में दिखे मजदूर