वो पांच डकैत जिनके नाम से कांपता था चंबल, लाइन में खड़ा कर बरसा देते थे गोलियां
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पान सिंह तोमर पर फिल्म भी बनी है। पान सिंह तोमर डकैत बनने से पहले इंडियन आर्मी के सिपाही थे। इसके अलावा वह एक एथलीट भी थे। पान सिंह 1950 और 1960 के दशक में सात बार के राष्ट्रीय steeplechase चैंपियन रहे। 10 सालों तक तोमर का रिकॉर्ड को कोई नहीं तोड़ पाया। तोमर ने 1952 के एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। सेना से रिटायर होने के बाद वह अपने पैतृक गांव लौट आए। जहां पर वह जमीनी विवाद के लेकर फंस गए। मजबूरी में तोमर को बंदूक उठानी पड़ी और बाद में वह चंबल घाटी का खूखार आतंकी के नाम से जाने गए। 1981 में तोमर को भारतीय कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा मार दिया गया था। पान सिंह के अलावा भी देश में तमाम कुख्यात डाकू हुए, जिनका खौफ लंबे समय तक रहा।
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निर्भय सिंह गुज्जर चंबल के बड़े डाकुओं में से एक था। निर्भय सिंह के पास करीब 80 डाकुओं की फौज थी। वह एके-47 जैसी राइफलों से लैस और नाइट विजन दूरबीन बुलेट प्रूफ जैकेट पहनता था। निर्भय के रहते हुए यहां के सैकड़ों ग्रामों खौफ का माहौल था। उस पर लूटने के अलावा लोगों की हत्या और बलात्कर के मामले भी दर्ज थे। यहां तक कि उस दौर में नेता भी उसके आतंक से डरते थे। 2005 में पुलिस ने एनकाउंटर कर उसे मौत के घाट उतारा था।
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फूलन देवी के बारे में तो आप जानते ही हैं। बैंडिट क्वीन फिल्म के जरिए फूलन देवी की कहानी को दिखाया गया है। चंबल की खतरनाक डाकुओं में फूलन देवी का नाम भी शुमार है। फूलन देवी के डाकू बनने के पीछे एक दर्दनाक कहानी भी है। पहले उसकी कम उम्र में शादी और उसके बाद वह गैंगरेप की भी शिकार हुई। इन सभी तरह की घटनाओं के बाद ही वह डाकू बनी थी। साल 1983 में फूलन देवी ने इंदिरा गांधी के कहने पर खुद को सरेंडर किया था। 25 जुलाई 2001 को डकैत से सांसद बनी फूलन देवी की हत्या कर दी गई थी।
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18 वर्ष की उम्र में वीरप्पन शिकार डकैतों-हत्यारों के गिरोह में शामिल हो चुका था। वीरप्पन लंबे समय तक केरल तमिलनाडु के जंगलों में छिपा रहा। बीरप्पन ने तमिलनाडु कर्नाटक और केरल के जंगल में 900 से ज्यादा हाथियों को मारा था। बीरप्पन और उसकी फौज को पकड़ने के लिए भारतीय सेना को काफी मशक्कत करनी पड़ी। सरकार ने खूखार डकैत को पकड़ने के लिए 20 करोड़ रुपए खर्च किए थे। 18 अक्टूबर 2004 वीरप्पन का एनकाउंटर कर दिया था। इस दौरान पुलिस ने वीरप्पन के सिर में गोली मारी थी।
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आगरा, मथुरा, मुरैना के लोग साल 1940 से 1955 तक कुख्यात डकैत मान सिंह का नाम सुनकर थर-थर कांपते थे। मान सिंह को चंबल का सबसे खतरनाक डाकू बताया जाता है। मान सिंह आगरा के राजपूत परिवार से ताल्लुक रखता था। डकैत मान सिंह पर 1112 लूट और 125 हत्याओं के मामले दर्ज थे। इस डाकू की खास बात यह भी थी कि वह अमीरों का धन लूटता था और गरीब-लाचार लोगों की सहायता करता था। मानसिंह की मौत मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा 1955 में भिंड जिले में हुए एक एनकाउंटर में हुई थी।
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