केंद्र सरकार ने बुधवार (29 जून) को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूर कर लिया है। इसके तहत वेतन, पेंशन और भत्तों में कुल मिलाकर 23.55 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इससे राजस्व पर 1.02 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आएगा। इस फैसले से केंद्र के 1 करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों को फायदा होगा। इनमें से 50 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं और 58 लाख रिटायर हो चुके हैं। यह सिफारिश 1 जनवरी से लागू होंगी। जानिए वेतन आयोग से जुड़े और कई दिलचस्प FACTS -
करीब पौने दो साल की मशक्कत के बाद केंद्र द्वारा गठित सातवें वेतन आयोग ने जो रिपोर्ट सौंपी है उससे भारत सरकार के सैंतालीस लाख कर्मचारियों और बावन लाख पेंशनभोगियों को सीधे-सीधे लाभ पहुंचेगा। परंपरा के अनुसार मामूली बदलाव के बाद देश भर की राज्य सरकारें, स्वायत्तशासी संस्थान और सरकारी नियंत्रण वाली फर्म भी वेतन आयोग को अपना लेती हैं। इस हिसाब से इसका असर संगठित क्षेत्र के दो करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों पर पड़ेगा।
-
7th Pay Commission: आयोग की सिफारिशें लागू होने से अकेले केंद्र सरकार के खजाने पर करीब एक लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। कर्मचारियों के वेतन में औसतन 23.55 फीसद और पेंशन में चौबीस प्रतिशत इजाफा होगा।
-
पिछले सत्तावन बरस में सरकारी मुलाजिमों का वेतन 225 गुना बढ़ गया है। 1959 में दूसरा वेतन आयोग आया था, जिसमें न्यूनतम वेतन अस्सी रुपए था। अगर पिछले छह दशक की महंगाई पर नजर डालें तो वार्षिक वेतन वृद्धि दस प्रतिशत ही बैठती है।
-
सातवें वेतन आयोग के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एके माथुर ने इस बार कई भत्तों को मिला दिया है। न्यूनतम वेतन 18000 रुपए और अधिकतम 2.50 लाख रुपए (कैबिनेट सचिव, तीनों सेना प्रमुख और सीएजी) तय किया गया है।
-
सातवें वेतन आयोग ने न्यूनतम वेतन (18000 रुपए) तय करते समय प्रतिमाह 9218 रुपए भोजन और कपड़ों और 2033 रुपए विवाह, मनोरंजन और तीज-त्योहार के लिए तय किए हैं।
-
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद भारत सरकार में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी का वेतन (भत्ते जोड़ कर) करीब 25000 रुपए हो जाएगा। ऐसे में सरकारी नौकरियों के लिए मारामारी और बढ़ेगी।
-
सरकारी मुलाजिमों के लिए पहले वेतन आयोग की रिपोर्ट स्वतंत्रता से पूर्व 1947 में आ गई थी। इसमें न्यूनतम वेतन पचपन रुपए तय किया गया और सिफारिशें 1946 से लागू हुर्इं। उसके बाद छह वेतन आयोग आ चुके हैं।
-
हर दस साल बाद आने वाले वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन वृद्धि अमूमन ढाई से चार गुना के बीच रहती है। चौथे आयोग से बढ़ोतरी का आंकड़ा लगातार तीन गुना से ऊपर चल रहा था, जो इस बार घट कर 2.57 गुना पर आ गया है।
-
न्यूनतम वेतन की गणना एक परिवार में चार सदस्यों के आधार पर की जाती है। कर्मचारी की कम से कम इतनी तनख्वाह तय की जाती है, जिससे वह अपने परिवार के खाने, कपड़े, मकान, दवा, र्इंधन, बिजली, मनोरंजन, शादी आदि का खर्चा निकाल सके।
-
सभी सरकारी मुलाजिमों को ‘स्किल’ (प्रशिक्षित) श्रेणी में रखा जाता है और इसी आधार पर उनका वेतन तय होता है। वेतन निर्धारण का फार्मूला 1957 के श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के आधार पर तय हुआ था, जो अब तक जारी है।
