
अखिलेश यादव के साथ कभी वो नेता भी खड़े थे, जो कभी मुलायम के करीबी थे। पिता-पुत्र विवाद में कई मुलायम सिंह यादव के सिपाही, अखिलेश के साथ खड़े नजर आए थे। तो चलिए जानें कि अखिलेश यादव के ये 7भरोसमंद सिपाही कौन, कब और कैसे बना था।

उन्नाव ज़िले के एक गांव से आने वाले सुनील यादव भी अखिलेश के भरोसमंद सिपाही में शामिल हैं। साल 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले जब तत्कालीन मायावती सरकार के ख़िलाफ़ अखिलेश संघर्ष कर रहे थे, उस दौरान वो उनके करीब आए थे। रथ यात्रा में अखिलेश के सुनील साथी थे। अखिलेश यादव ने सरकार बनने के बाद पहले सुनील को राज्य मंत्री का दर्जा दिलाया और बाद में एमएलसी बनवाया।

अभिषेक मिश्र को साल 2012 में अखिलेश यादव ने ही लखनऊ उत्तर सीट से चुनाव लड़ाया और वो पहली बार में ही विधायक बने थे। अखिलेश अभिषेक मिश्र को बड़ी संख्या में निवेशकों को उत्तर प्रदेश में बुलाने और यहां निवेश के लिए तैयार करने का भी श्रेय दिया जाता है और इसी के चलते वह अखिलेश के खास बन गए।

आनंद भदौरिया उस वक़्त चर्चा में आए जब बसपा की सरकार के दौरान एक पुलिस अधिकारी के पैरों से रौंदी जा रही उनकी तस्वीर अखबारों में छपी थी। इसके बाद से अखिलेश की नजर इन पर गई और भदौरिया समाजवादी पार्टी के फ्रंटल संगठन लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिए गए। उसके बाद अखिलेश ने उन्हें विधान परिषद भी भेजा।

अखिलेश यादव के भरोसमंद में एसआरएस यादव का नाम भी शामिल था, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते उनकी मौत हो गई।

अखिलेश यादव के साथ हमेशा साये की तरह रहने वाले कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी भी उन कुछ लोगों में से एक हैं जो मुलायम सिंह की ही तरह अब अखिलेश के क़रीबी हैं। ग़ाज़ियाबाद के रहने वाले राजेंद्र चौधरी अखिलेश के प्रमुख राजनीतिक सलाहकार भी हैं और सरकार के प्रवक्ता भी हैं।

यूपी के टूंडला के रहने वाले उदयवीर सिंह धौलपुर के उसी मिलिट्री स्कूल से पढ़े हैं जहां से अखिलेश ने पढ़ाई की है। अखिलेश यादव, उदयवीर से दो साल सीनियर थे। पार्टी और परिवार में छिड़ी जंग जब सामने आई थी तब उदयवीर ने अखिलेश के समर्थन में चिट्ठी मुलायम सिंह यावद को लिखी थी। इसमें उनकी दूसरी पत्नी पर कई आरोप लगाए थे।

संजय लाठर अखिलेश यादव से क़रीबी की वजह से वो पार्टी में अहम स्थान हासिल कर चुके हैं। वे अखिलेश के पुराने साथी माने जाते हैं। Photos: Social Media