
समाजवादी पार्टी (SP) के सरंक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) जब पहलवानी करते थे तो उन्हें चरखा दांव में कोई पटकनी नहीं दे सकता था। और जब राजनीति में आए तो अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के पिता ने यही दांव यहां भी खेला। कांग्रेस ही नहीं, तृणमूल कांग्रेस और लेफ्ट जैसी कई पार्टियों और नेताओं को मुलायम ने अपने चरखा दांव में फंसा कर पटकनी दी है। तो चलिए आज आपको बताएं कि वो कौन-कौन से मौके रहे हैं जब मुलायम ने विरोधियों को चौंकाया है।

साल 1989 में मुलायम सिंह यादव ने अपने करीबी रहे रेवती रमन सिंह को भी चरखा दांव में लपेटा था। असल में जब मुख्यमंत्री बनने के लिए जनता दल में विधायक दल का नेता चुना जाना था तब मुलायम ने राज्यसभा सांसद रेवती रमन की जगह अपने पक्ष में विधायकों के बीच जबरन वोटिंग कराई थी।

1990 में कांग्रेस के समर्थन से अल्पमत सरकार चलाने के बावजूद जब जनता दल का विभाजन हुआ तो मुलायम सिंह यादव ने तत्कालीन कांग्रेस चीफ राजीव गांधी को बिना सूचित किए विधानसभा भंग कर दी थी। इसे भी पढें- मुलायम एक बार फिर अखिलेश यादव के साथ आने लगे नजर

1999 में सोनिया के पीएम बनने का सपना मुलायम ने तोड़ दिया था। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरने के बाद सोनिया ने मुलायम से समर्थन मांगा था। मुलायम तैयार भी थे लेकिन वह ज्योति बसु को पीएम बनवाना चाहते थे। सोनिया ने राष्ट्रपति को सरकार बनाने का दावा तक पेश कर दिया था, लेकिन मुलायम ने हाथ खींच लिया था।

मुलायम सिंह यादव ने 2002 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए यूपीए को किए वादे के बावजूद आखिर में एनडीए के उम्मीदवार एपीजे अब्दुल कलाम का समर्थन दे दिया था। इसे भी पढें- सोनिया गांधी की पीएम बनने की प्लानिंग को मुलायम ने ऐसे किया था फेल

2008 में मुलायम ने यूपीए की सरकार को एक बार फिर चरखा दांव में लपेट लिया था। इंडो-यूएस सिविल न्यूक्लियर डील का लोकसभा में तो मुलायम ने विरोध किया था, लेकिन बाद में यू-टर्न लेते हुए डील को समर्थन दे कर लेफ्ट का साथ छोड़ दिया था।

2012 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी से किया वादा भी मुलायम ने तोड़ दिया था। सहमति के अनुसार अब्दुल कलाम को ही दोबारा से राष्ट्रपति बनाने के लिए वोटिंग करनी थी, लेकिन मुलायम ने आखिरी समय में प्रणब मुखर्जी को वोट किया था।

2017 में विधानसभा चुनाव से पहले बेटे अखिलेश यादव को भी मुलायम ने चरखा दांव में पटकनी दी थी। असल में भाई शिवपाल यादव से अखिलेश संग हुए विवाद में मुलायम ने भाई शिवपाल यादव का समर्थन किया था। इसे भी पढें- मुलायम की समधन हैं अम्बी बिष्ट, रहा है विवादों से नाता

मुलायम सिंह यादव ने तब सभी कौ चौंका दिया था जब 16वीं लोकसभा के विदाई भाषण के दौरान उन्होंने नरेंद्र मोदी अगेन का बयान दिया था।

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