
प्रतापगढ़ के कालांकार राजघराने और भदरी राजघराने के बीच हमेशा से अदावत रही है। राजकुमारी रत्ना प्रतापगढ़ के कालाकांर राजघराने से हैं। वहीं,रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया भदरी राजघराने के कुंवर रहे हैं। कांग्रेस से साल 2019 में बीजेपी में शामिल हुई राजकुमारी रत्ना पहले ही राजा भैया के लिए चुनौती बनी थीं, अब बीजेपी ने कुंडा विधानसभा क्षेत्र से भी महिला प्रत्याशी के रूप में सिंधुजा मिश्रा को उतार दिया है।

राजा भैया को चुनौती देने के लिए सपा ने जहां ने उनके कभी करीबी सिपहसलार रहे गुलशन यादव को उतार कर झटका दिया है, वहीं अब बीजेपी भी झटका दे चुकी है।

राजा भैया ने 1993 में हुए विधानसभा चुनाव से कुंडा की राजनीति में कदम रखा था। तब से वह लगातार अजेय बने हुए हैं।

राजा भैया से पहले कुंडा सीट पर कांग्रेस के नियाज हसन का डंका बजता था। हसन 1962 से लेकर 1989 तक कुंडा से पांच बार विधायक रहे थे।

राजा भैया के कुंडा की राजनीति में आने के बाद वहां से कोई दूसरा विधायक नहीं जीत सका।

हालांकि, प्रतापगढ़ सांसद रही राजकुमारी रत्ना जरूर राजा भैया के लिए चुनौती रही हैं।

राजा भैया के दाहिना हाथ माने जाने वाले अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी ने प्रतापगढ़ से साल 2004 में राजकुमारी रत्ना सिंह को हराया था, लेकिन साल 2009 में राजकुमारी रत्ना ने इस हार को जीत में बदल दिया था।

साल 2019 में रत्ना बीजेपी में शामिल हो गई और राजा भैया के लिए ये किसी झटके से कम नहीं था।

अब कुंडा से बीजेपी ने सिंधुजा मिश्रा को टिकट देकर राजा भैया की चुनौती को बढ़ा दिया है। Photos: Social Media