PHOTOS: अंखियों के झरोखे से बहुत दूर चले गए संगीतकार और गायक रवींद्र जैन
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मशहूर संगीत निर्देशक, गायक और गीतकार रवींद्र जैन का शुक्रवार को यहां निधन हो गया। वे 71 साल के थे। लीलावती अस्पताल में सुबह चार बजकर 10 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली। जैन दो दिन पहले नागपुर में एक कार्यक्रम के लिए गए थे, जहां उनकी तबीयत खराब हो गई थी। उन्हें इलाज के लिए नागपुर के वोकहार्ड अस्पताल से यहां लाया गया था, लेकिन इलाज के दौरान ही उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके परिवार में पत्नी दिव्या और पुत्र आयुष हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा फिल्म जगत की हस्तियों ने जैन के निधन पर शोक संवेदना जताई है।
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सफल संगीतकार बनने के लिए अंधता को पराजित करने वाले जैन ने चोर मचाए शोर, गीत गाता चल, चितचोर और अंखियों के झरोखे से, जैसी 70 के दशक की हिट फिल्मों के लिए संगीत दिया। उन्हें राजकपूर ने बड़ा ब्रेक दिया जिनके लिए उन्होंने राम तेरी गंगा मैली, दो जासूस और हिना जैसी फिल्मों में सुपरहिट गाने दिए। 1980 और 1990 के दशकों में जैन ने पौराणिक फिल्में और टेलीविजन धारावाहिकों के लिए संगीत दिया।
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रवींद्र जैन के संगीत की मधुरता, मिठास और देसीपन का अहसास लंबे समय तक श्रोताओं के दिलो-दिमाग में बना रहेगा। उनके बनाए गाने ना सिर्फ दिल को छू जाते थे, बल्कि इतनी सरल धुनोंवाले होते थे कि कोई भी आसानी से उन्हें गुनगुना सकता था। उनकी विशेषता थी कि वे किसी भी सिचुएशन के मुताबिक तुरत फुरत गीत लिख लेते थे।
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रवींद्र जैन का जन्म अलीगढ़ में 28 फरवरी 1944 को हुआ था। पिता इंद्रमणि जैन और मां किरण देवी के बेटे रवींद्र पैदाइशी दृष्टिहीन थे। संगीत के प्रति झुकाव के चलते वे जैन मंदिरों में भजन गाने लगे थे। 1956 में प्रयाग संगीत विद्यालय से संगीत प्रभाकर करनेवाले जैन ने फिल्मजगत में करिअर की शुरुआत 1972 में ‘कांच और हीरा’ से की। फिल्म का गाना ‘नजर आती नहीं मंजिल, तड़पने से भी क्या हासिल...’ काफी पसंद किया गया, जो उन्होंने खुद लिखा था।
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रवींद्र जैन ने इसके बाद राजश्री प्रोडक्शंस की अमिताभ बच्चन अभिनीत ‘सौदागर’, एनएन सिप्पी की ‘चोर मचाए शोर’ का संगीत दिया। इसमें इंद्रजीत सिंह तुलसी का लिखा एक गाना ‘ले जाएंगे ले जाएंगे दिलवाले दुलहनियां ले जाएंगे...’ शादियों के दौरान आज भी सुना जा सकता है। मगर सही माने में फिल्मजगत में रवींद्र जैन को ऊंचाई मिली राज कपूर की फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ (1985) के संगीत से। इस फिल्म के मधुर गाने- इक दुखियारी कहे..., सुन सायबा सुन, एक मीरा एक राधा- गली गली गूंजे और फिल्म को भी अपार सफलता मिली थी। संगीत देने के अलावा जैन ने इस फिल्म के छह गाने भी खुद ही लिखे थे।
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रवींद्र जैन की लोकप्रियता में चार चांद लगे 1987 में। दूरदर्शन ने रामानंद सागर के ‘रामायण’ धारावाहिक का 25 जनवरी 1987 से प्रसारण शुरू किया और देखते ही देखते हर घर में रवींद्र जैन का गीत संगीत घर घर में पहुंच गया। ‘रामायण’ का शीर्षक गीत जयदेव ने तैयार किया था, मगर गीत और संगीत का काम रवींद्र जैन ने संभाला था। धार्मिक धारावाहिकों में आज भी ‘रामायण’ की लोकप्रियता का मुकाबला कोई और धारावाहिक नहीं कर पाया। इसकी 35 मिनट की कड़ी को देखने के लिए लोग सारा काम छोड़कर टीवी के सामने बैठ जाते थे। इसके अलावा जैन ने हेमा मालिनी के धारावाहिक ‘नूपुर’ समेत कई धारावाहिकों में संगीत दिया।