प्रशांत किशोर का ये पुश्तैनी मकान है। इसका निर्माण उनके पिता श्रीकांत पांडेय ने करवाया था। हालांकि प्रशांत अब यहां पर नहीं रहते हैं। प्रशासन को अनुसार एनएच 84 के फोर लेन किए जाने के दौरान इस भूमि को अधिग्रहित कर लिया गया था, लेकिन प्रशांत किशोर ने इसका मुआवजा अभी तक नहीं लिया है। जानकारी के अनुसार चारदीवारी के साथ ही घर के ब्रह्म स्थान को भी पूरी तरह से तोड़ दिया गया है। PK की तरफ से इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
जैसे ही प्रशासनिक अधिकारी सरकारी लावलश्कर के साथ प्रशांत किशोर के घर के बाहर पहुंचे तो लोगों की भीड़ वहां पर लग गई। प्रशासन ने तेजी दिखाते हुए काम किया और सिर्फ दस से पंद्रह मिनट के अंदर ही किशोर के घर की चारदीवारी और गेट को तोड़ दिया। इस दौरान प्रशासन के इस कार्य का किसी ने विरोध नहीं किया। लोगों के बीच यह चर्चा होती रही कि आखिर ऐसा क्यों किया गया।
उल्लेखनीय है कि कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी प्रशांत किशोर को उनकी राणनीतिकार की भूमिका के लिए जाना जाता है। वे जेडीयू में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। बिहार में उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया था, लेकिन एनआरसी के मुद्दे पर उनके और सीएम के बीच मतभेद हुए। उसके बाद वो जेडीयू को छोड़कर चले गए। उस दौरान काफी बयानबाजी भी हुई थी।
वैसे 2015 के चुनाव में नीतीश की जीत का श्रेय PKको दिया जाता रहा। तब यह चर्चा आम थी कि जो रणनीति उन्होंने बनाई, वो कामयाब रही। बाद में प्रशांत किशोर को कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया। उनकी चुनावी रणनीति का लोहा राजनीतिक गलियारे में अक्सर माना जाता है। यही वजह है कि दिल्ली के चुनाव में अरविंद केजरीवाल और अब बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी उनकी सेवाएं ले रही हैं।