स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने अवमानना मामले में माफ़ी मांगने से इंकार कर दिया है। कुणाल कामरा ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दायर हलफ़नामा में कहा है कि चुटकुले वास्तविक नहीं होते हैं और वो ऐसा होने का दावा भी नहीं करते हैं। साथ ही कुणाल ने यह भी कहा है कि उन्हें काम की वजह से बेहद सम्मान मिलता है। दरअसल कामरा को पिछले साल 18 दिसंबर को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए अवमानना का नोटिस जारी किया गया था। नोटिस के अनुसार कुणाल कामरा ने अपने पोस्ट में न्यायपालिका और जजों को बदनाम करने की कोशिश की थी।
अवमानना नोटिस के मामले में कुणाल कामरा ने सुप्रीम कोर्ट के सामने किसी भी तरह की माफ़ी मांगने से इंकार कर दिया। अपने हलफ़नामा में कामरा ने लिखा कि मेरे ट्वीट का मकसद न्यायपालिका में लोगों के विश्वास को कम करने का नहीं है। साथ ही कामरा ने यह भी लिखा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट यह मानता है कि मैंने एक लाइन पार कर ली है और मेरे इंटरनेट को बंद कर देना चाहिए तो मैं भी अपने कश्मीरी मित्रों की तरह हर साल 15 अगस्त के अवसर पर हैप्पी इंडिपेंडेंस डे का पोस्ट कार्ड लिखूंगा।
इसके अलावा कामरा ने लिखा कि लोकतंत्र में किसी भी संस्था को आलोचना से ऊपर मानना बेहद ही तर्कहीन और अलोकतांत्रिक है। कामरा ने इस दौरान मुन्नवर फारुकी के मामले को उठाते हुए कहा कि मुन्नवर जैसे कलाकारों को जोक्स की वजह से जेल में डाल दिया जा रहा है। इसके अलावा हम उन भाषणों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला देख रहे हैं जो उन्होंने किए भी नहीं हैं। यहाँ तक कि स्कूली छात्रों से भी देशद्रोह के लिए पूछताछ की जा रही है। साथ ही कुणाल ने अपने हलफ़नामा में लिखा है कि उन्हें उम्मीद हैं कि कोर्ट अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को संवैधानिक मूल्य मानेगी। कामरा ने आगे कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उल्लंघन से हम असंगठित कलाकार देश में कम होते चले जायेंगे और लैपडॉग बनते चले जायेंगे।
इसके अलावा कामरा ने कहा है कि मैं न्यायालयों के कई फैसलों से असहमत हूं लेकिन वादा करता हूं कि मैं कोर्ट के किसी भी फैसले का मुस्कुराहट के साथ सम्मान करूंगा और इस मामले में किसी भी जज या सुप्रीम कोर्ट की अवेहलना नहीं करूंगा क्योंकि वह वास्तव में अदालत की अवमानना होगी।