जनता दल (यूनाइटेड) ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर केंद्रीय योजना, बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना (BJRCY) का कथित रूप से नाम बदलने के लिए निशाना साधा है। यह योजना अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए छात्रावासों के निर्माण के लिए थी। 2022-23 के दौरान परिवर्तित योजना के तहत केंद्र बिहार को कोई अनुदान नहीं दे रहा है।
केंद्र ने बदला योजना का नाम
जेडीयू नेताओं ने आरोप लगाया है कि बाबू जगजीवन राम बिहार के दलित नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री के नाम पर रखी गयी इस योजना को बदलकर, केंद्र ने इसे दो अन्य योजनाओं के साथ विलय कर दिया है और समग्र योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री अनुसुचित जाति अभ्युदय योजना (PM-AJAY) कर दिया है।
जद (यू) एमएलसी और प्रवक्ता नीरज कुमार ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “केंद्र सरकार कई योजनाओं के नाम बदल रही है और ज्यादातर योजनाओं के साथ पीएम लगा रही है। यहां तक कि एक राज्य को ऐसी योजनाओं में महत्वपूर्ण योगदान देना पड़ता है। बाबू जगजीवन राम न केवल देश के एक दबंग दलित नेता थे, बल्कि डिप्टी पीएम भी थे।”
JDU ने लगाया बिहार को अनुदान न देने का आरोप
नीरज ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार जगजीवन राम के नाम पर योजना का नाम बदलने पर ही नहीं रुकी, बल्कि बदली हुई योजना PM-AJAY के तहत बिहार के लिए अनुदान भी बंद कर दिया”। उन्होंने आरोप लगाया, “केंद्र ने 2022-23 में योजना के तहत 5,513 परियोजनाओं का प्रस्ताव दिया था लेकिन बिहार के लिए किसी भी योजना को मंजूरी नहीं दी गई और राज्य को कोई अनुदान नहीं दिया गया। अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए प्रस्तावित 42 छात्रावासों में से कोई भी बिहार के लिए स्वीकृत नहीं किया गया था।”
पहले BJRCY के तहत, राज्य को 100 प्रतिशत केंद्रीय सहायता से लड़कियों के लिए 100 सीटों वाले अनुसूचित जाति के छात्रावासों के निर्माण और 50 प्रतिशत केंद्र की सहायता से अनुसूचित जाति के लड़कों के लिए छात्रावासों के निर्माण के प्रावधान थे। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश भर में 2007-08 से 2021-22 तक स्वीकृत 819 छात्रावासों में से 366 छात्रावास बनाए गए हैं।
मोदी सरकार केंद्रीय योजनाओं का क्रेडिट लेने के लिए दौड़ रही- नीतीश कुमार
बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू सुप्रीमो नीतीश कुमार ने पहले कहा था कि चूंकि मोदी सरकार केंद्रीय योजनाओं का क्रेडिट लेने के लिए दौड़ रही है, जिसमें राज्यों का भी योगदान है इसलिए उन्हें पूरी तरह से प्रायोजित करना चाहिए। नीतीश ने यह भी तर्क दिया कि विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के लिए अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं के कारण बिहार अपनी कई योजनाओं को तैयार नहीं कर सका।
बिहार सरकार के प्रमुख भागीदार आपस में ही लड़ रहे- BJP
वहीं, दूसरी ओर जेडीयू के आरोपों को खारिज करते हुए बिहार भाजपा के प्रवक्ता संतोष पाठक ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार बिहार के बजट में 76% से अधिक का योगदान दे रही है, जबकि बिहार सरकार केवल 24% का योगदान दे रही है। इससे पता चलता है कि बिहार में पॉलिसी पैरालिसिस है क्योंकि राज्य सरकार के प्रमुख भागीदार आपस में ही लड़ रहे हैं इसलिए शासन के मुद्दों और राज्य की राजकोषीय नीति के प्रबंधन के लिए समय नहीं है।