लोकसभा ने विमान अपहरण की घटनाओं में दोषी लोगों को मौत की सजा के प्रावधान वाले एक महत्वपूर्ण विधेयक को सोमवार पारित कर दिया। राज्यसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है। लोकसभा में करीब घंटे भर की चर्चा के बाद ‘यान-हरण निवारण विधेयक 2016’ को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक में विमानों के अपहरण आदि मामलों से जुड़े अंतरराष्ट्रीय समझौते को प्रभावी बनाने के प्रावधान किए गए हैं। इसके साथ ही ऐसी घटना में हवाईअड्डे पर मौजूद स्टाफ कर्मियों की मौत होने की स्थिति में भी दोषी को मृत्युदंड का प्रावधान विधेयक में किया गया है।
पूर्व के विधेयक में केवल बंधक बनाए गए लोगों जैसे चालक दल के सदस्यों, यात्रियों और सुरक्षाकर्मियों की मौत होने की सूरत में ही दोषियों के लिए मौत के सजा का प्रावधान किया गया था। नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने विधेयक पर चर्चा के जवाब में कहा कि विमानन क्षेत्र में सुरक्षा के लिहाज से विश्व में भारत की रैंकिंग अच्छी है। उन्होंने मौत की सजा के प्रावधान का कुछ सदस्यों द्वारा विरोध किए जाने पर कहा कि जिस व्यक्ति (अपहर्ता) के मन में दूसरे के जीवन का कोई सम्मान नहीं है , उसके जीवन के सम्मान की चिंता करना समझ में नहीं आता। राजू ने कहा कि भारत इस मामले में अंतरराष्ट्रीय संधि का हस्ताक्षरकर्ता है और भारत को अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के साथ खड़े होना चाहिए।
उन्होंने अतीत में हुई विमान अपहरण की घटनाओं के संबंध में कहा कि इसके लिए इस सरकार या उस सरकार को दोष देना उचित नहीं है। भारत ने न केवल ऐसी घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय घटनाओं से भी सीखा है। विमानन मंत्री ने साथ ही कहा कि हवाई अड्डों की सुरक्षा को अद्यतन करना एक सतत प्रक्रिया है और सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत में विमानन सुरक्षा कुल मिलाकर अच्छी है। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी।
इससे पूर्व विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने देश के इतिहास में घटी विमान अपहरण की घटनाओं का उल्लेख किया और कंधार अपहरण की घटना के संबंध में कहा कि इस मामले में तत्कालीन राजग सरकार निपटने में विफल साबित हुई थी। उन्होंने विधेयक में दोषी को मौत की सजा के प्रावधान को अनावश्यक बताया। उन्होंने सभी हवाईअड्डों पर स्क्रीनिंग पुख्ता करने की भी मांग की।
भाजपा सदस्य राजेश पांडेय ने कांग्रेस सांसद चौधरी पर विमान हरण की घटनाओं में 1978 की एक घटना का जानबूझकर उल्लेख नहीं करने का आरोप लगाया जिसमें कांग्रेस के दो सदस्यों ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए कथित तौर पर लखनऊ से दिल्ली जाने वाले इंडियन एयरलाइंस के एक विमान को वाराणसी में उतारने को बाध्य किया था। उन्होंने विमान अपहरण जैसे गंभीर अपराध के लिए कानून में परिभाषाओं को व्यापक किए जाने का समर्थन किया। उन्होंने हवाईअड्डों और विमानों में सुरक्षा बढ़ाने की मांग की।
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने पूछा कि हवाईअड्डों की सुरक्षा संभालने वाले केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) पर नागर विमानन मंत्रालय का कितना नियंत्रण है। बीजद के तथागत सतपथि ने कहा कि मृत्युदंड का प्रावधान कारगर नहीं है। उन्होंने हवाईअड्डों पर सुरक्षा के लिए सीआइएसएफ के बजाय अलग से विशेष बल को तैनात करने की मांग की, जिन्हें अलग से प्रशिक्षित किया जाए। उन्होंने हवाईअड्डों पर वीआइपी लोगों के साथ ही सामान्य लोगों की तरह ही सुरक्षा जांच से गुजरने की प्रक्रिया अपनाए जाने की मांग की।
तेदेपा के मुरली मोहन मगंती ने इस संबंध में सभी विकासशील देशों के साथ मिलकर एक सचिवालय बनाए जाने की मांग की। टीआरएस के बीएन गौड़ ने मुआवजे के प्रावधान को स्पष्ट करने की मांग की। माकपा के शंकर प्रसाद दत्ता ने भी मृत्युदंड के प्रावधान पर आपत्ति जताई। इंडियन नेशनल लोकदल के दुष्यंत चौटाला ने भविष्य में विधेयक में संशोधन कर हवाई सुरक्षा के लिए विशेष बल का गठन किए जाने की मांग की। चर्चा में भाजपा के गोपाल शेट्टी राजद के जयप्रकाश नारायण यादव और राजेश रंजन आदि ने भी भाग लिया।