जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वहां लगे प्रतिबंधों से संबंधित एक मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। कश्मीर में लगे प्रतिबंधों से संबंधित इस मामले पर सुनवाई के दौरान अदालत ने गुरुवार (20-11-2019) को राज्य प्रशासन से कहा कि ‘उन्हें हर सवाल का जवाब देना होगा।’
बता दें कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन की तरफ से अदालत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मौजूद थे। सुनवाई के दौरान जस्टिस एनवी रामाना की अध्यक्षता वाली बेंच में शामिल जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और बीआर गवी ने कहा कि याचिककर्ता ने वहां लगे प्रतिबंधों को चुनौती दी है और इसीलिए सभी सवालों के जवान देने होंगे। अदालत ने कहा कि ‘मिस्टर. मेहता, जो सवाल याचिकाकर्ता ने उठाए हैं उनके सभी सवालों का आपको विस्तृत तौर से जवाब देना होगा। आपके एफिडेविट से हम किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। इस तरह के इम्प्रेशन मत दीजिए कि आप इस केस पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं।’
अदालत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रतिबंधों के बारे में दिए गए अधिकांश तर्क गलत हैं। जब कोर्ट में वह दलील देंगे, उस समय वह हर पहलू पर जवाब देंगे। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि उनके पास स्टेटस रिपोर्ट है लेकिन उन्होंने यह अदालत में दाखिल नहीं की है क्योंकि राज्य में स्थिति रोज बदल रही है। जब वह दलीलें देंगे, तब सटीक स्टेटस रिपोर्ट प्रदर्शित करेंगे।
न्यायमूर्ति एनवी रमन के नेतृत्व वाली पीठ ने प्रशासन की ओर से अदालत में पेश सॉलिसिटर जनरल से साफ कहा है कि प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली याचिकाओं में व्यापक पैमाने पर तर्क दिये गये हैं और उन्हें सभी सवालों का जवाब देना होगा। शीर्ष अदालत की बेंच ने स्पष्ट किया कि एक याचिका को छोड़कर किसी में भी हिरासत के मामले उसके पास लंबित नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि हम जम्मू कश्मीर के संबंध में हिरासत का कोई मामले नहीं सुन रहे हैं। हम इस समय अनुराधा भसीन और गुलाम नबी आजाद द्वारा दायर की गईं दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं। ये याचिकाएं आने-जाने और प्रेस की आजादी पर प्रतिबंधों के संबंध में हैं। सिर्फ एक याचिका बंदी प्रत्यक्षीकरण के संबंध में है।
