उधर, सूत्रों का कहना है कि सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रही है। सरकार वहां तर्क देगी कि पूर्ण लॉकडाउन से लोगों के सामने गंभीर संकट खड़ा हो जाएगा। हालांकि, सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि य़ूपी कोरोना की मार से इस समय बुरी तरह से कराह रहा है। यूपी में रोजाना केसों में बढ़ोतरी हो रही है। वहीं हेल्थकेयर सिस्टम पूरी तरह से चरमरा गया है। हालात इतने बदतर हैं कि गंभीर रूप से बीमार लोगों को भी अस्पताल में दाखिला नहीं मिल पा रहा है। वहीं मृतकों का अंतिम संस्कार करने में भी परेशानी हो रही है, क्योंकि शमशान घाट में लाशों का अंबार लगा है।
UP Government will not impose a complete lockdown in the cities but impose strict restrictions. The UP Government is submitting its reply before the Court on its observations: ACS- Information, Navneet Sehgal
— ANI UP (@ANINewsUP) April 19, 2021
गौरतलब है कि जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की बेंच ने प्रदेश में पृथक-वास केंद्रों की स्थिति को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश पारित किया था। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि वह अपने आदेश के जरिए इस राज्य में पूर्ण लॉकडाउन नहीं थोप रही है। बेंच ने कहा, हमारा विचार है कि मौजूदा समय के परिदृश्य को देखते हुए यदि लोगों को उनके घरों से बाहर जाने से एक सप्ताह के लिए रोक दिया जाता है तो कोरोना संक्रमण की श्रृंखला तोड़ी जा सकती है और इससे अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों को भी कुछ राहत मिलेगी।
बेंच ने कहा कि वो प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, कानपुर नगर और गोरखपुर शहरों के संबंध में कुछ निर्देश पारित कर रही है। सरकार को तत्काल प्रभाव से इनका कड़ाई से अनुपालन करने का निर्देश दिया जाता है। अदालत ने कहा कि वित्तीय संस्थान और वित्तीय विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, औद्योगिक एवं वैज्ञानिक प्रतिष्ठानों, आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी प्रतिष्ठान चाहे वह सरकारी हों या निजी, 26 अप्रैल, 2021 तक बंद रहेंगे।
अदालत ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि दवा की दुकानों को छोड़कर किराने की दुकान और अन्य वाणिज्यिक दुकानें जहां तीन से अधिक कर्मचारी हैं, 26 अप्रैल, 2021 तक बंद रहेंगी। इसी तरह, सभी मॉल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, रेस्तरां, खानपान की दुकानें 26 अप्रैल तक बंद रहेंगी। इसके अलावा, सभी धार्मिक स्थल इस दौरान बंद रहेंगे और विवाह को छोड़कर किसी भी सामाजिक कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।