लालू ही नहीं जेल मैनुअल तोड़ने पर विवादों में रहे RJD के शहाबुद्दीन, आरोप- सलाखों के पीछे लगवाते थे ‘दरबार’, पढ़ें इस बिहारी बाहुबली की कहानी
शहाबुद्दीन जेल मैनुअल तोड़ने पर विवादों में रहे हैं। 2003 में शहाबुद्दीन जेल के नाम पर हॉस्पिटल में रहते थे और वहीं पंचायत भी लगते थे। इस दौरान उनके आदमी वहां हथियारों से लैश खड़े रहते थे।

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पर जेल मैनुअल का उल्लंघन करने का आरोप है। खूंखार गैंगस्टर और लोकसभा के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के बाद, वह पार्टी के दूसरे नेता हैं, जिन पर यह आरोप लगा है। इसको लेकर उनके खिलाफ भाजपा विधायक ललन कुमार पासवान ने प्राथमिकी दर्ज कराई है।
दोहरे कत्ल के मामले में शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। अगस्त 2004 में शहाबुद्दीन और उसके लोगों ने रंगदारी न देने पर सीवान के प्रतापपुर गांव में चंदा बाबू के दो बेटों सतीश और गिरीश रौशन को तेजाब डालकर जिंदा जला दिया था। शहाबुद्दीन जेल मैनुअल तोड़ने पर विवादों में रहे हैं। 2003 में शहाबुद्दीन जेल के नाम पर हॉस्पिटल में रहते थे और वहीं पंचायत भी लगते थे। इस दौरान उनके आदमी वहां हथियारों से लैश खड़े रहते थे।
शहाबुद्दीन ने 1990 में लालू यादव की सरपरस्ती में राजनीति में कदम रखाा। 1986 से ही शहाबुद्दीन अपराध की दुनिया में शामिल हो चुका था, वह तब सिर्फ 19 साल का था। लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर शहाबुद्दीन ने मुस्लिम-यादव वोटरों पर पकड़ बनाई जिसकी बदौलत 1991 के लोकसभा चुनावों में जनता दल को बड़ी जीत हासिल हुई।
शहाबुद्दीन ने 2004 का चुनाव जीतने तक जनता दल और आरजेडी का चार बार प्रतिनिधित्व किया। 2007 में हत्या के एक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद शहाबुद्दीन को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया। शहाबुद्दीन ने सीवान के हुसैनगंज इलाके से बतौर बाहुबली शुरुआत की। राजनैतिक महत्वाकांक्षाअों ने कुलांचे मारी तो शहाबुद्दीन ने मुस्लिम युवकों को खाड़ी देशों में भेजकर अच्छा नाम बना लिया। सीवान में आज भी विदेशों से सबसे ज्यादा पैसे भेजे जाते हैं। शहाबुद्दीन ने अपने इलाके में वाम पार्टियों के प्रभुत्व को तोड़ने के लिए खौफ का इस्तेमाल किया। छोटे शुक्ला महत्वपूर्ण वामपंथी नेता थे।
शहाबुद्दीन ने फरवरी 1999 में शुक्ला को निशाना बनाया और उनका अपहरण कर हत्या करवा दी। शहाबुद्दीन की हिम्मत इतनी बढ़ गई कि पुलिस और सरकारी कर्मचारियों पर इसने हाथ उठाना शुरू कर दिया। मार्च 2001 में इसने एक पुलिस अफसर को थप्पड़ मार दिया, इसके बाद सीवान की पुलिस बौखला गई। पुलिस ने दल बनाकर शहाबुद्दीन पर हमला कर दिया। गोलीबारी हुई. दो पुलिसवालों समेत आठ लोग मरे पर शहाबुद्दीन पुलिस की तीन गाड़ियां फूंककर नेपाल भाग गया।
शुक्ला मर्डर केस में शहाबुद्दीन को दोषी पाया गया और 2007 में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई। सीवान आरजेडी के एक नेता के मुताबिक, “शहाबुद्दीन ने दुकानदारों को धमकाया और उनसे वसूली शुरू की। उसके गुर्गे जमीनों, दुकानों और घरों पर कब्जा करने लगे। उन्हें भूमि विवाद सुलझाने पर हिस्सा भी मिलता था। शहाबुद्दीन अदालत लगाता और शादियों के झगड़े और डॉक्टर की फीस जैसे मामले सुलझाता था। एक समय ऐसा भी आया जब उसका दबदबा कबूल करने के लिए दुकानदारों को शहाबुद्दीन की तस्वीर दुकान में लगानी पड़ी।”
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