महाराष्ट्र की सियासत में हर दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिलता है। राज्य में शिवसेना के दो फाड़ के बाद से कभी एकसाथ कदम-ताल मिलाने वाले आमने-सामने दिखाई देना अब आम सी बात हो गया है। लेकिन अब राज्य में कई परिवारों में भी सियासत की वजह से दो फाड़ हो गए हैं। इन्हीं परिवारों में से एक है ठाकरे परिवार के करीबी सुभाष देसाई की फैमली।
पिछले दिनों सुभाष देसाई के बटे भूषण देसाई एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना में शामिल हो गए। सुभाष देसाई को महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के पुराने करीबियों में से एक माना जाता है। राज्य सरकार में उद्योग विभाग संभाल चुके सुभाष देसाई ने अपने बेटे के फैसले पर दुख जताया है।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने अपने बेटे के एकनाथ शिंदे के साथ जाने को अपने लिए ‘दर्दभरा’ बताया है। हालांकि उन्होंने कहा कि भूषण के इस फैसले से उद्धव ठाकरे की पार्टी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
सुभाष देसाई ने कहा, “मेरा बेटा शिवसेना या सियासत में एक्टिव नहीं था। इसलिए उसके किसी भी पार्टी में जाने से शिवसेना (UBT) पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। मेरी निष्ठा पिछले 5 दशकों के शिवसेना, दिवंगत बाला साहेब, उद्धव साहेब और मातोश्री से है जो वैसे ही रहेगी… मैं अन्य शिवसेनिकों की तरह न्याय मिलने और शिवसेना को अपना पिछला गौरव वापस नहीं पा लेने तक अपना काम जारी रखूंगा।”
सुभाष देसाई शिवसेना के उन पुराने जमाने के नेताओं में से हैं, जो उद्धव के अंदरूनी घेरे में अपनी स्थिति बनाए रखने में कामयाब रहे है। वह तीन बार MLA बन चुके हैं लेकिन उन्होंने 2009 के बाद कोई भी विधानसभा चुनाव नहीं जीता है। बावजूद इसके उन्हें देवेंद्र फडणवीस सरकार के दौरान महत्वपूर्ण उद्योग विभाग दिया गया। इसके बाद उद्धव सरकार में भी उन्हें मंत्री बनाया गया।
गोरेगांव से रखते हैं ताल्लुक
सुभाष देसाई गोरेगांव से संबंध रखते हैं। यह इलाका शिवसेना का स्ट्रांगहोल्ड माना जाता है। हालांकि सुभाष साल 2014 में यहां से बीजेपी की विद्या ठाकुर के खिलाफ चुनाव हार गए थे। इसके बाद उद्धव ने उन्हें MLC बनाया, फिर वह फडणवीस सरकार में उद्योग मंत्री बनाए गए।
सुभाष देसाई के बेटे भूषण देसाई को सियासत में कम ही लोग पहचानते हैं। उन्हें लो-प्रोफाइल बिजनेसमैन हैं। वह दो कंपनियों चलाते हैं जिनमें से एक फूड इंडस्ट्री से जुड़ी है जबकि दूसरी इन्फ्रास्ट्रक्चर से। हांलकि उनका नाम गोरेगांव प्रबोधन संगठन की वेबसाइट पर कार्यकारी समिति सदस्य के तौर पर दर्ज है। इस संगठन को उनके पिता सुभाष देसाई ने शुरू किया था।
भूषण उस समय भी चर्चाओं में आए थे जब उन्होंने मुंबई में जुहू इलाके में एक हाईराइट में 33 करोड़ का अपार्टमेंट खरीदा था। महाविकास अघाड़ी सरकार के दौरन भूषण बीजेपी के रेडार पर थे। कहा जाता है कि वो स्क्रीन के पीछे से ऑपरेट करना पसंद करते हैं। तब बीजेपी उनपर आरोप लगाती थी कि भूषण अपने पिता के नेतृत्व वाले उद्योग विभाग में दबिश दे रहे हैं।
राज्य में एकनाथ शिंदे की सरकार बनने के बाद उद्धव सरकार के समय के MIDC के करीब 191 लैंड अलॉटमेंट रोक दिए गए। उस समय सुभाष देसाई के पास उद्योग मंत्रालय था। हालांकि बाद में जब नई व्यवस्था ने ने रोक हटाई तो बताया गया कि सरकार इन भूमि आवंटनों में कथित अनियमितताओं की जांच कर रही थी। दिसंबर 2022 में बीजेपी विधायक अतुल भातखलकर सत्तारूढ़ दल के उन विधायकों में शामिल थे, जिन्होंने भूषण के खिलाफ जांच की मांग की थी।
उन्होंने विधानसभा के बाहर मीडिया से बातचीत में कहा था कि इंडस्ट्रियल उपयोग के लिए रिजर्व MIDC की लगभग 4,14,000 वर्ग मीटर भूमि को रेसिडेंशियल उद्देश्यों के लिए परिवर्तित कर दिया गया, जो कि अवैध है। सरकारी खजाने पर इसकी लागत 3,109 करोड़ रुपये आई, जो इन जमीनों का बाजार मूल्य है। यह कोविड-19 के दौर में किया गया था जब लोग बेड, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की तलाश कर रहे थे। हम भूषण सुभाष देसाई के खिलाफ जांच की मांग करते हैं जिन्होंने ऐसा किया। इसकी जांच होनी चाहिए कि क्या इसमें शामिल पैसा मातोश्री पहुंचा?
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तब भातखलकर ने यह भी कहा था कि वर्तमान उद्योग मंत्री उदय सामंत ने घोषणा की थी कि वह इस मामले की जांच करेंगे। सामंत सीएम शिंदे के प्रमुख सहयोगियों में से एक हैं, जिनके विद्रोह ने बीजेपी के समर्थन से उद्धव सरकार को गिरा दिया था। हालांकि, बमुश्किल तीन महीने बाद, भूषण सीएम शिंदे के साथ मंच पर शामिल हुए बाद में उनका अपनी पार्टी में स्वागत किया।
क्या प्रेशर में शिंदे गुट में शामिल हुए भूषण देसाई?
यह पूछे जाने पर कि क्या उन पर कोई दबाव था क्योंकि जब उनके पिता उद्योग मंत्री थे, तब उन्होंने MIDC में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना किया था, भूषण ने कहा कि शिंदे सेना में शामिल होना उनकी “पर्सनल चॉइस” है। हालांकि, अब उद्धव सेना ने एमआईडीसी विवाद को लेकर भूषण और शिंदे-फडणवीस सरकार पर निशाना साधा है।
उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने कहा कि जो लोग खुद को साफ करने के लिए वाशिंग मशीन में जाना चाहते हैं, उन्हें जरूर जाना चाहिए। लेकिन सुभाष देसाई अभी भी हमारे साथ हैं और चाहे जो हो जाए हमें नहीं छोड़ेंगे। भूषण हमारे साथ नहीं थे और वह जिसमें चाहें शामिल हो सकते हैं। उद्धव ठाकरे गुट के एक अन्य विधायक वैभव नायक ने कहा कि भूषण दबाव में होंगे क्योंकि उनके खिलाफ अपने पिता के मंत्री पद का अपने लिए दुरुपयोग करने के लिए जांच शुरू की जा सकती है।