भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 की जंग में भारतीय सेना के सामने पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए थे। इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को सरेंडर करने पर मजबूर दिया। 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को घुटनों पर लाने में फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने बड़ी भूमिका निभाई थी। 3 अप्रैल, 1914 को जन्मे सैम मानेकशॉ की आज 108वीं जयंती है। सैम मानेकशॉ से जुड़े कई किस्से हैं और इसी कड़ी में एक किस्सा है जब उन्होंने कहा था- ये पेट स्टील का है।
दि लल्लनटॉप के शो ‘किताब वाला’ में इस किस्से का जिक्र है। सैम मानेकशॉ और जनरल बीजी कौल एक एक्सरसाइड के दौरान एक-दूसरे के आमने-सामने थे। मानेकशॉ ने इतना अच्छा प्लान बनाया कि जनरल कौल को हार माननी पड़ी। जनरल कौल इस हार को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। जनरल कौल ने कुछ कमांड किया और मानेकशॉ के पेट में केन लगाई और बोले कि देखो, तुम्हारा पेट बाहर आ रहा है। इस पर मानेकशॉ ने कहा, “ये पेट नहीं है, ये स्टील का पेट है। जापानी बुलेट लगी हुई है।”
फील्ड मार्शल के बारे में कई किस्से बहुत प्रसिद्ध हैं। ‘बीबीसी हिंदी’ के मुताबिक, सैम मानेकशॉ की एक आदत से उनकी पत्नी सीलू मानेकशॉ बहुत परेशान थीं। दरअसल, सैम मानेकशॉ को नींद में खर्राटे लेने की आदत थी। इसी वजह से उनकी पत्नी और वो अलग-अलग कमरों में सोते थे। माया दारुवाला कहती हैं, “सीलू सीधा बोलती थीं कि उनके कमरे में नहीं सोना है। उनके खर्राटे से सब परेशान हो जाते थे।”
1971 की जंग के दौरान भारत की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी चाहती थीं कि मार्च में ही वो पूर्वी पाकिस्तान पर हमला बोल दें। सैम मानेकशॉ ने ऐसा करने से इनकार कर दिया क्योंकि भारतीय सेना उसके लिए तैयार नहीं थी। इंदिरा गांधी ने कैबिनेट की बैठक बुलाई और तमाम टेलीग्राम दिखाते हुए उन्होंने कहा कि हमें पूर्वी पाकिस्तान में दखल देना ही होगा। सैम मानकेशॉ ने कहा कि हम लड़ाई शुरू करते हैं तो निश्चित ही हार जाएंगे क्योंकि हम इसके लिए तैयार नहीं हैं।
इंदिरा गांधी इतना सुनते ही नाराज हो गईं। उनको नाराज देख सैम ने इस्तीफे की पेशकश करते हुए कहा, “मैडम प्राइम मिनिस्टर आप मुंह खोले इससे पहले मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आप मेरा इस्तीफा मानसिक, या शारीरिक या फिर स्वास्थ्य, किन आधार पर स्वीकार करेंगी?” हालांकि, इंदिरा गांधी ने इस्तीफे की पेशकश ठुकरा दी और उनकी सलाह लेते हुए युद्ध की नई तारीख तय की।
सैम मानेकशॉ गोरखा सिपाहियों की बहादुरी के कायल थे। इससे जुड़ा एक वाकया है जब, मानेकशॉ भारतीय सेना के जवानों को उनकी बहादुरी के लिए वीरता मेडल से सम्मानित कर रहे थे। उस उन्होंने कहा था कि अगर कोई इंसान ये कहता है कि उसे मौत से डर नहीं लगता तो, या तो वह झूठ बोल रहा है या फिर वह एक गोरखा है।