दूध (Milk) के दामों में पिछले एक साल में करीब 8 रुपये तक की वृद्धि हुई है। गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन ने पिछले एक साल में दिल्ली में अपने अमूल ब्रांड फुल-क्रीम दूध (जिसमें 6% फैट और 9% SNF या सॉलिड-नॉट-फैट होता है) का अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) 58 से 64 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ा दिया है। वहीं राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के स्वामित्व वाली मदर डेयरी के दाम 5 मार्च से 27 दिसंबर 2022 के बीच 57 रुपये से 66 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गए।
फुल क्रीम दूध 9 रुपये तक बढ़ गया
पिछली बार दूध की कीमतों में 8 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी अप्रैल 2013 और मई 2014 के बीच हुई थी। अमूल दूध (Amul milk) फरवरी 2022 तक लगभग आठ वर्षों में यह केवल 10 रुपये प्रति लीटर बढ़ा। लेकिन उसके बाद से कीमतों में उछाल आया है। मदर डेयरी द्वारा टोंड दूध (3% वसा और 8.5% एसएनएफ) की MRP 6 रुपये जबकि फुल क्रीम के लिए 9 रुपये तक बढ़ाया गया है।
किसानों ने सबसे पहले अपने पशुओं के आकार को कम किया या कम से कम विस्तार नहीं किया क्योंकि दूध की कीमतें जानवरों को खिलाने और बनाए रखने की लागत को कवर नहीं करेंगी। उनकी लागत अधिक हो गई थी और मुनाफा कम हो गया था।
कुपोषित बछड़े आज की गायें हैं
लॉकडाउन के दौरान जो बछड़े कुपोषित थे, वे ही आज की गायें हैं। उनमें से अधिकांश भले ही वे बच गए हों कम दूधवाले होंगे। यह कर्नाटक और तमिलनाडु में सहकारी संघों के लिए साल-दर-साल 15-20% तक की गिरावट के साथ भारत भर की डेयरियों द्वारा कम दूध की खरीद की रिपोर्ट का सबूत है। वही डेयरियां जो 2020-21 में किसानों से खरीदने से इनकार कर रही थीं, वर्तमान में गाय के दूध के लिए 37-38 रुपये प्रति लीटर और भैंस के दूध के लिए 54-56 रुपये प्रति लीटर का भुगतान कर रही हैं।
कुपोषित पशु ही एकमात्र कारण नहीं है बल्कि आपूर्ति और मांग भी एक बड़ा कारण हैं। कपास के बीज, रेपसीड और मूंगफली के अर्क जैसे मवेशियों के चारे की औसत लागत 2020-21 में 16-17 रुपये प्रति किलोग्राम थी जो 2022 में बढ़कर 22-23 रुपये हो गई। इससे सप्लाई पर व्यापक असर पड़ा। इसके अलावा जुलाई से सितंबर 2022 में मवेशियों के बीच गांठदार त्वचा रोग का प्रकोप आया और दूध उत्पादन पर और अधिक प्रभाव पड़ा।