‘Coronil’ को रामदेव की Patanjali ने बताया था CoPP-WHO सर्टिफाइड, पर बोला डब्ल्यूएचओ- नहीं की समीक्षा
बयान में यह दावा भी किया गया है कि सीओपीपी के तहत कोरोनिल को अब 158 देशों में निर्यात किया जा सकता है।

योग गुरु बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद कंपनी ने दावा किया था कि उनकी कोरोनिल (पहले कोरोना के लिए इम्युनिटी बूस्टर थी) को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के आयुष खंड से डब्ल्यूएचओ की प्रमाणन योजना के तहत फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट (सीओपीपी) का प्रमाण पत्र मिला है।
उधर, विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने साफ किया है कि उसने कोरोना वायरस के इलाज के लिए किसी भी पारंपरिक दवा की न तो समीक्षा की है और न ही उसके प्रभावी होने पर प्रामाणिकता दी है। बता दें कि रामदेव की पंतजलि ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 के इलाज में सहायक दवा के रूप में उसके कोरोनिल टैबलेट को आयुष मंत्रालय से प्रमाण पत्र मिला है। कंपनी के इस टैबलेट को प्रमाण पत्र विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की प्रमाणन योजना के तहत मिला है। पतंजलि ने कोविड-19 इलाज में उपयोगी कोरोनिल के प्रभाव के समर्थन में शोध कार्य को भी जारी किया। केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने पूर्व में इसे सिर्फ ‘प्रतिरक्षा बढ़ाने’ वाली दवा के रूप में मान्यता दी थी।
.@WHO has not reviewed or certified the effectiveness of any traditional medicine for the treatment #COVID19.
— WHO South-East Asia (@WHOSEARO) February 19, 2021
रामदेव ने उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि मंत्रालय ने उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर अब कोरोनिल टैबलेट को ‘कोविड-19 के इलाज में सहायक उपाय’ के रूप में मान्यता दी है। वह बोले, ‘‘कोविड पर कोरोनिल के प्रभाव को लेकर अध्ययन कई प्रमुख पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं…यह न केवल कोविड के इलाज में काम करेगा बल्कि उसकी रोकथाम और ठीक करने के साथ उसके बाद के प्रभाव में भी मददगार होगा।’’
उन्होंने दावा किया कि यह भारत की पहली कंपनी है, जिसे इस प्रकार का लाइसेंस मिला है। पतंजलि ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में कोरोनिल के लिये आयुष मंत्रालय से प्रमाण पत्र मिलने की घोषणा की। पतंजलि ने एक बयान में कहा, ‘‘कोरोनिल को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के आयुष खंड से डब्ल्यूएचओ की प्रमाणन योजना के तहत फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट (सीओपीपी) का प्रमाण पत्र मिला है।’’
बयान में दावा किया गया है कि सीओपीपी के तहत कोरोनिल को अब 158 देशों में निर्यात किया जा सकता है। पतंजलि ने आयुर्वेद आधारित कोरोनिल को पिछले साल 23 जून को पेश किया था, जब महामारी अपने चरम पर थी। हालांकि, इसे गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ा क्योंकि इसके पक्ष में वैज्ञानिक प्रमाणों की कमी थी। इसके बाद आयुष मंत्रालय ने इसे सिर्फ ‘प्रतिरक्षा बढ़ाने’ वाली दवा के रूप में मान्यता दी।
रामदेव ने कहा, ‘‘आयुष मंत्रालय ने उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर कोरोनिल टैबलेट को ‘कोविड-19 में सहायक उपाय’ के रूप में मान्यता दी है।’’ उन्होंने कहा कि कोरोनिल प्राकृतिक चिकित्सा के आधार पर सस्ते इलाज के रूप में मानवता की मदद करेगी। कोरोनिल के बाद पंतजलि की वैज्ञानिक साक्ष्यों और प्रमाणन के साथ और आयुर्वेदिक दवाएं पेश करने की योजना है। पतजंलि के प्रवक्ता एस के तिजारावाला ने कहा कि कोरोनिल ने पिछले सात महीनों में 500 करोड़ रुपये का कारोबार किया है। कोरोनिल का विकास पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने किया है। (भाषा इनपुट्स के साथ)