टीआरपी घोटाला: रिपब्लिक के अर्नब गोस्वामी और पूर्व बार्क सीईओ की WhatsApp चैट देश की सुरक्षा पर सवाल- कांग्रेस
कांग्रेस ने रविवार को सरकार और अर्नब गोस्वामी पर हमला करते हुए कहा कि इससे पता चलता है कि वित्तीय धोखाधड़ी हुई है। कांग्रेस ने कहा कि उच्च पदों पर बैठे लोग कैसे इन घोटालों में शामिल हैं यह देश की सुरक्षा पर सवाल है।

रिपब्लिक टीवी के एडिटर अर्नब गोस्वामी और ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता के लीक हुई कथित WhatsApp चैट्स ने विवाद खड़ा कर दिया है। ये चैट्स TRP स्कैम मामले में मुंबई पुलिस की चार्जशीट का हिस्सा हैं। कांग्रेस ने रविवार को सरकार और अर्नब गोस्वामी पर हमला करते हुए कहा कि इससे पता चलता है कि वित्तीय धोखाधड़ी हुई है। कांग्रेस ने कहा कि उच्च पदों पर बैठे लोग कैसे इन घोटालों में शामिल हैं यह देश की सुरक्षा पर सवाल है।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने AICC की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा “मुंबई पुलिस की चार्जशीट में जो वॉट्सऐप चैट सामने आई है उससे अपने आप में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। किस प्रकार से वित्तीय धोखाधड़ी हुई, उसमें देश के बड़े से बड़े पदों पर बैठे कौन से लोग शामिल थे, कैसे जजों को ख़रीदने की बात हुई और मंत्रिमंडल में कौन सा पद किसको मिलेगा उसका निर्णय पत्रकारों द्वारा किया गया ये सारी बातें हैं।”
कांग्रेस नेता ने कहा ” मुंबई पुलिस का आरोपपत्र एक हज़ार पन्नों का है और हम इसका अध्ययन कर रहे हैं। यह सब राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता करने पर सवाल उठाता है … और जो सत्ता में हैं उनका खोखलापन दर्शाता है। हम इस पर विस्तार से प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। ”
उन्होंने कहा कि पार्टी इस मुद्दे की जांच कर रही है और इसका नेतृत्व जल्द ही एक प्रतिक्रिया के साथ सामने आएगा कि “क्यों इसकी गहन जांच की आवश्यकता है … किसकी जांच होनी चाहिए … किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।” पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी इस मामले में ट्वीट कर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से पूछा है, “क्या असल स्ट्राइक से तीन दिन पहले एक पत्रकार (और उसके दोस्त) को बालाकोट में जवाबी हमले के बारे में पता था? यदि हाँ, तो इस बात की क्या गारंटी है कि उनके स्रोतों ने पाकिस्तान के साथ काम करने वाले जासूसों या मुखबिरों सहित अन्य लोगों के साथ भी जानकारी साझा नहीं की होगी? राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी गोपनीय निर्णय की जानकारी सरकार-समर्थक पत्रकार को कैसे मिली?”