BJP vs CPI On Rajpath: राजपथ का नाम कर्तव्यपथ होने बाद एक निजी टीवी चैनल पर डिबेट के दौरान सीपीआई नेता विवेक श्रीवास्तव ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि ‘राज’ शब्द को बदलने से क्या हो जाएगा। जिस पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने उनसे कई सवाल पूछ लिए।
सीपीआई नेता विवेक श्रीवास्तव ने बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी से कहा कि इनकी पार्टी और वो संगठन जिससे यह जुड़े हुए हैं। वो चाहे आरएसएस हो या हिंदू महासभा। इन लोगों का आजादी की लड़ाई में किसी तरह का योगदान नहीं था। यह लोग एक फ्रीडम फाइटर का नाम नहीं ले सकते। उन्होंने कहा कि ‘राज’ शब्द को बदलने से क्या हो जाएगा। क्या हमारे देश में लोकतंत्र नहीं है।
विवेक श्रीवास्तव के सवाल के जवाब में सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि इनकी पार्टी का नाम कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया है। उन्होंने कहा कि ये भारत की कम्युनिस्ट पार्टी है। भारतीय नहीं है। मल्टीनेशनल की इंडिया ब्रांड हैं। सुधांशु ने कहा कि कांग्रेस कम से कम अपने को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी कहती है, लेकिन ये लोग भारत की कम्युनिस्ट पार्टी कहते हैं।
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सीपीआई ने आजादी के बाद सशस्त्र संघर्ष करके सत्ता कब्जा करने की कोशिश की थी, इसलिए इन पर भी प्रतिबंध लगा था। संघ से तो प्रतिबंध हट गया था। उन्होंने कहा कि सीपीआई से प्रतिबंध हटान के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू से एडविना माउंटबेटन ने सिफारिश की थी। उन्होंने कहा कि यह नेहरू जी के लेटर में जाकर चेक कर सकते हैं। यह तो समस्या है कि बिना पढ़े हुए लोग हवा में आरोप लगाने चलाते हैं।
भाजपा प्रवक्ता ने सीपीआई नेता से पूछा कि क्या 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में साथ में थे, नहीं थे, क्योंकि तब स्टालिन जो था, वो अंग्रेजों के साथ में आ गया था। 1941 के बाद स्टालिन अंग्रेजों के साथ आ गया था, जब तक स्टालिन अंग्रेजों के खिलाफ था तब तक यह कांग्रेस के साथ थे और देश की आजादी के बात कर रहे थे। त्रिवेदी ने कहा कि सन 1962 के युद्ध में इनकी पार्टी का विभाजन ही इस आधार पर हुआ कि इनकी पार्टी के एक धड़े ने यह कहा कि चीन का भारत पर आक्रमण करना उचित है।