पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनकड़ और राज्य सरकार के बीत तनातनी बढ़ती जा रही है। अब ममता बनर्जी की अगुवाई वाली राज्य की टीएमसी सरकार ने गवर्नर जगदीप धनकड़ की ताकत घटा दी है। दरअसल राज्य सरकार ने चांसलर के तौर पर राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालय में उनकी ताकत को कम कर दिया है। राज्य शिक्षा विभाग की तरफ से जारी किए गए नए नोटिफिकेशन के मुताबिक अब यहां के विश्वविद्यालयों को यह ताकत दी गई है वो अब बिना चांसलर को संपर्क किये भी बड़ी बैठकें कर सकते हैं।

अभी तक बड़े फैसलों से संबंधित मीटिंग में विश्वविद्यालय के चांसलर यानी राज्यपाल का होना जरुरी होता था। लेकिन राज्य सरकार ने अब नया नियम बनाया है जिसके तहत विश्वविद्यालय में सीनेट या एग्जीक्यूटिव मीटिंग राज्य शिक्षा विभाग को सूचित कर आयोजित की जाएगी। इससे पहले यूनिवर्सिटी को इस लेवल की मीटिंग करने से पहले चांसलर को सूचित करना पड़ता था।

राज्य सरकार ने जो नए नियम बनाए हैं उससे चांसलर की ताकत घट गई है। इतना ही नहीं वाइस-चांसलर की नियुक्ति में भी चांसलर का पावर घटाया गया है। नए नियम के मुताबिक सलेक्ट कमेटी चांसलर को तीन नाम भेजेगी और उन्हें इनमे से किसी एक को चुनना होगा। नए नियम के मुताबिक चांसलर को क्रम के आधार पर दिए गए नामों को प्राथमिकता देनी होगी…दूसरे शब्दों में कहे तो जो तीन नाम सलेक्ट कमेटी की तरफ से चांसलर को भेजे जाएंगे उनमें से पहले नाम को चुनना चांसलर के लिए जरुरी होगा।

आपको बता दें कि गवर्नर धनकड़ ने हाल ही में आरोप लगाया था कि राज्य की विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा लिये जा रहे कई अहम फैसलों से पहले उनसे संपर्क नहीं किया जा रहा है। राज्य सरकार से गवर्नर की तनातनी इसी साल उस वक्त शुरू हुई थी जब केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो जाधवपुर यूनिवर्सिटी गए थे और यहां छात्रों ने उनका जब घेराव किया था तब गवर्नर जगदीप धनखड़ छात्रों के बीच पहुंच कर बाबुल सुप्रियो को निकाल कर वहां से लाए थे।

हाल ही में गवर्नर कोलकाता विश्वविद्यालय भी पहुंचे थे लेकिन विश्वविद्यालय में उन्हें वाइस-चांसलर और रजिस्ट्रार अनुपस्थित मिले थे जिसपर गवर्नर ने एतराज जताया था। कुछ दिनों पहले जगदीप धनकड़ विधानसभा भी पहुंचे थे लेकिन वहां जब सचिवालय स्थित लाइब्रेरी में उन्होंने ताला लटका देखा था तब वो धरने पर बैठ गए थे।