गलवान शहीदों की याद में बना नया वॉर मेमोरियल, चीन के लिए छिपा है बड़ा संदेश!
भारत और चीन के बीत बीते कई माह से एलएसी पर विवाद चल रहा है। जिसके चलते भारत और चीन के सैनिक बीती 15 जून तो लद्दाख की गलवान घाटी में आमने-सामने आ गए थे।

भारत ने लद्दाख में गलवान घाटी में शहीद हुए वीरों की याद में एक वॉर मेमोरियल (युद्ध स्मारक) बनाया है। यह युद्ध स्मारक लद्दाख में रणनीतिक रूप से अहम दुरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड पर भारतीय सेना की पोस्ट KM-120 के पास बनाया गया है। इस वॉर मेमोरियल पर सभी 20 शहीद जवानों के नाम लिखे गए हैं।
वॉर मेमोरियल पर लिखी गई जानकारी में बताया गया है कि “15 जून 2020 को गलवान घाटी में 16 बिहार के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू के नेतृत्व में एक क्विक रिएक्शन फोर्स को पीएलए से वाई नाला पोस्ट को खाली कराने और फिर पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 की तरफ बढ़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जवानों ने सफलतापूर्वक वाई नाला पोस्ट को पीएलए से खाली कराया और उसके बाद वह पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 पहुंचे, जहां भारतीय सेना और पीएलए के सैनिकों के बीच झड़प हुई।”
“कर्नल संतोष बाबू ने आगे रहकर जवानों का नेतृत्व किया और उन्होंने और उनके दल के अन्य जवानों ने हाथों से हुई लड़ाई में बहादुरी से लड़ते हुए पीएलए को भारी नुकसान पहुंचाया। इस लड़ाई में गलवान के बहादुर 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए।”
बता दें कि भारत और चीन के बीत बीते कई माह से एलएसी पर विवाद चल रहा है। जिसके चलते भारत और चीन के सैनिक बीती 15 जून तो लद्दाख की गलवान घाटी में आमने-सामने आ गए थे। इस लड़ाई में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे। इस झड़प में चीन के भी 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे लेकिन चीन ने अभी तक इस बात को स्वीकार नहीं किया है।
चीन को दिया बड़ा संदेशः चीन के खिलाफ भारत की नीति बातचीत से मुद्दों को सुलझाने की रही है लेकिन चीन द्वारा सीमा पर जिस तरह से आक्रामकता दिखाई जा रही है और साथ ही जिस तरह चीन भारत के पड़ोसी देशों को कर्ज के बहाने अपने प्रभाव में ले रहा है। उसे देखते हुए भारत ने भी अपनी चीन नीति में शायद बदलाव किया है। यही वजह है कि अब भारत द्वारा चीन के आक्रामक रुख का आक्रामक तरीके से ही जवाब दिया जा रहा है।
इसका उदाहरण भारतीय सेना की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स द्वारा लद्दाख में अहम इलाकों को कब्जाने से स्पष्ट हो जाता है। बता दें कि सेना की एसएफएफ रेजीमेंट में तिब्बत मूल के जवान शामिल हैं। इससे भारत ने चीन को तिब्बत मुद्दे पर कड़ा संदेश देने की कोशिश की है। अब गलवान के शहीदों का युद्ध स्मारक बनाकर भी भारत ने चीन को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि उसकी किसी भी हरकत का अब मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।