किसानों के समर्थन में बीजेपी नेता ने छोड़ी पार्टी, अकाली दल में गए
किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए पंजाब के फरीदकोट के बीजेपी अध्यक्ष विजय छाबड़ा ने पार्टी छोड़ दी और अकाली दल में शामिल हो गए।

किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए पंजाब के फरीदकोट के बीजेपी अध्यक्ष विजय छाबड़ा ने पार्टी छोड़ दी और अकाली दल में शामिल हो गए। छाबड़ा फरीदकोट नगर निगम में पार्षद भी हैं। मालूम हो कि कुछ ही समय पहले शिरोमणि अकाली दल एनडीए से अलग हुआ है ऐसे में अपने इस कदम से अकालियों ने भगवा पार्टी को जोर का झटका दिया है। जिला अध्यक्ष के पार्टी छोड़ने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीजेपी पर पंजाब में कितना दबाव है। अकाली दल नेता सुखबीर बादल की मौजूदगी में छाबड़ा ने पार्टी ज्वॉइन की। छाबड़ा ने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने उनकी बात नहीं सुनी। इसलिए उन्होंने बीजेपी छोड़ देना ही ठीक समझा।
बता दें कि आज पंजाब में किसानों ने कृषि कानून के विरोध में लोहड़ी के मौके पर कई स्थानों पर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं। मालूम हो कि लोहड़ी का त्योहार पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में मनाया जाता है। विभिन्न किसान यूनियन से जुड़े किसानों ने राज्य के कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया और नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं।
किसानों ने भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र के खिलाफ भी नारेबाजी की और सरकार से उनकी मांगों को नहीं मानने के लिए नारेबाजी की। उन्होंने मांग की कि नए कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिए। किसान मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले महिलाओं सहित किसानों ने अमृतसर के पंढेरकलान गांव में विरोध प्रदर्शन किया।
समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने कहा, “हमने इन कानूनों के विरोध में कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं।” इसी तरह का विरोध प्रदर्शन अमृतसर में अन्य स्थानों पर भी किया जा रहा है। पंढेर ने कहा,”जब तक केंद्र किसानों की सभी मांगों को स्वीकार नहीं करता, तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा।”
Expressing solidarity with farmers, Vijay Chhabra, @BJP4Punjab – district #Faridkot President quit #BJP to join @Akali_Dal_ on Dec 13. Chhabra is also sitting councilor of ward no 13, Faridkot Municipal council. @iepunjab @IndianExpress pic.twitter.com/95xo5WgHQP
— raakhijagga (@raakhijagga) January 13, 2021
बता दें कि किसान, जो दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं, कृषि कानूनों को निरस्त करने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को विवादास्पद नए कृषि कानूनों को अगले आदेशों तक लागू करने पर रोक लगा दी थी और केंद्र और दिल्ली की सीमाओं पर विरोध कर रहे किसान यूनियनों के बीच गतिरोध को हल करने के लिए 4 सदस्यीय समिति गठित करने का फैसला किया था।
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