Video: 150 कैदियों संग एक ही सेल में कैद थे कफील, सुनाई आपबीती- सरकार कर रही साजिश, हो सकता है ये आखिरी मुलाकात हो
कफील खान ने वीडियो में कहा, कहते हैं कि मैंने भड़काऊ भाषण दिया। मैंने दो समुदाय के बीच नफरत फैलाई। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मैंने कोई भी ऐसी बात नहीं कि थी जिससे की दंगा फैले या नफरत फैले।

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में बोलने वाले डॉक्टर कफील खान आखिरकार इलाहबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद जेल से रिहा कर दिए गए हैं। उन पर यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सीएए के मुद्दे पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाते हुए रासुका लगा दी थी। बुधवार को जेल से बाहर निकलने के बाद कफील खान ने मीडिया से बातचीत की। इसके अलावा सोशल मी़डिया पर अपनी वीडियो पोस्ट कर उन्होंने अपनी आपबीती सुनाई।
बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कफील ने कहा कि, वह अबतक तीन बार जेल जा चुके हैं लेकिन इस बार का जेल जाना काफी भयानक अनुभव था। उन्होंनेे कहा कि वह 40-50 लोगों की क्षमता वाले बैरिक में 150 कैदियों के साथ बंद थे।
इस बार मुझे शारीरिक के साथ- साथ मानसिक तौर पर भी टॉर्चर किया गया। अपनी आप बीती सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जेल में कैदिया का व्यवहार काफी अच्छा था। लोग गोरखपुर ऑक्सीजन त्रासदी के बाद से मुझे जानने लगे हैं। हम बैरिक में रामायण और श्रीकृष्णा देखते थे।
कफील खान ने वीडियो में कहा, कहते हैं कि मैंने भड़काऊ भाषण दिया। मैंने दो समुदाय के बीच नफरत फैलाई। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मैंने कोई भी ऐसी बात नहीं कि थी जिससे की दंगा फैले या नफरत फैले। कफील ने यह भी कहा कि वह अभी मथुरा से घर नहीं जा रहे हैं क्योंकि सरकार उन्हें और मामलों में फंसाने की कोशिश कर रही है। हो सकता है सरकार मुझे मरवा भी दे। आप सबके साथ शायद यह आखिरी मुलाकात हो।
गौरतलब है कि कोर्ट ने रासुका के तहत डॉक्टर कफील खान को हिरासत में लेने और हिरासत की अवधि को बढ़ाए जाने को गैरकानूनी करार दिया। नुजहत परवीन ने अपनी याचिका में आरोप लगाया गया था कि फरवरी की शुरुआत में एक सक्षम अदालत द्वारा डाक्टर कफील को जमानत दे दी गई थी और उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना था। लेकिन उन्हें चार दिनों तक रिहा नहीं किया गया और बाद में उनपर रासुका लगा दिया गया।