इसके बाद नीति निर्धारकों का ध्यान देश में प्रशिक्षित पशु चिकित्सकों और चिकित्सालयों की भारी कमी की ओर गया। कृषि प्रधान देश होने के नाते और एक बड़ी आबादी पशुधन और पशुश्रम पर निर्भर है।
एक आंकड़े के मुताबिक 2017 में पशुधन पर निर्भर लोगों की संख्या दो करोड़ थी। पशुपालन क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग चार फीसद और कृषि सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 26 फीसद का योगदान करता है। बीमारी होने और इलाज के अभाव में पशुओं के असमय मरने से इन पर निर्भर बड़ी संख्या में लोगों की आय प्रभावित होती है।
भारतीय पशु चिकित्सा परिषद के मुताबिक पांच हजार पशुओं पर एक पशुचिकित्सक उपलब्ध होना चाहिए, लेकिन हकीकत में 12-13 हजार पशुओं पर एक चिकित्सक ही उपलब्ध हो पा रहा है। 2017 में संसद में पेश कृषि संबंधी समिति की रिपोर्ट के मुताबिक पशु चिकित्सकों और दवाइयों की कमी के कारण देश का पशुधन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक देश में कम से कम एक लाख 15 हजार प्रशिक्षित पशु चिकित्सकों की आवश्यकता है जबकि उपलब्धता मात्र 60-70 हजार पशु चिकित्सकों की ही है। यानी आवश्यक संख्या से आधे से भी कम पशु चिकित्सक उपलब्ध हैं। अक्तूबर 2019 में दुग्ध मंत्रालय की ओर से जारी 20वें पशुधन आबादी गणना के अनुसार देश में कुल पशुधन (गाय, भैंस, घोड़े, गधे, बकरी, भेंड़, सुअर व अन्य) आबादी 53.57 करोड़ है।
यह संख्या पिछले आंकड़े से 4.6 फीसद अधिक है। इसके अलावा आजकल घरों में कुत्ते, बिल्ली, खरगोश, मछली आदि को पालने का प्रचलन भी तेजी से बढ़ा है। लोग इन्हें परिवार के सदस्य की तरह मानते हैं और इनके इलाज, प्रशिक्षण और सजाने-संवारने पर अच्छी खासी रकम खर्च करने को तैयार हैं। इसे देखते हुए देश में पशु चिकित्सकों के लिए भरपूर अवसर उपलब्ध है।
पशु चिकित्सा विज्ञान
पशु चिकित्सा विज्ञान (वेटरिनरी मेडिसीन) पशु चिकित्सा विज्ञान की एक विशेष शाखा है जिसमें मनुष्येतर जीवों की शरीररचना (एनाटोमी), शरीरक्रिया (फिजियोलाजी) विकृतिविज्ञान (पैथोलाजी), भेषज (मेडिसीन) और शल्यकर्म (सर्जरी) का अध्ययन होता है। पशुपालन शब्द से साधारणतया स्वस्थ पशुओं के वैज्ञानिक ढंग से आहार, पोषण, प्रजनन, एवं प्रबंध का बोध होता है। यह मानव चिकित्सा विज्ञान के समान ही है क्योंकि उनका प्राथमिक उद्देश्य भी बीमारियों की रोकथाम, उन्मूलन, देखभाल और मनुष्यों को स्वस्थ जीवन देना है।
योग्यता
पशु चिकित्सा पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के इच्छुक उम्मीदवारों को मान्यता प्राप्त बोर्ड से बारहवीं कक्षा जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान से उतीर्ण होना चाहिए। बारहवीं की परीक्षा कम से कम 50 फीसद अंकों के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए। उम्मीदवार की न्यूनतम आयु 17 साल और अधिकतम उम्र 22 साल होनी चाहिए।
पशु चिकित्सा पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा का प्रावधान है। राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) का आयोजन राष्ट्रीय परीक्षा एजंसी (एनटीए) करती है। प्रवेश परीक्षा के आधार पर सरकारी और निजी कालेजों में दाखिला में मिलता है।
पाठ्यक्रम
पशु चिकित्सा के प्रमुख पाठ्यक्रमों की बात करें तो इसमें दो वर्षीय डिप्लोमा (पशु चिकित्सा फार्मेसी), दो वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम (पशु चिकित्सा विज्ञान), पीएचडी (पशु चिकित्सा विज्ञान) और पांच वर्षीय स्नातक (पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन) शामिल हैं। इन पाठ्यक्रमों सिद्धांत एवं प्रशिक्षण दोनों तरह का ज्ञान दिया जाता है। प्रशिक्षण के बाद मान्यता प्राप्त पशु चिकित्सक बन जाते हैं।
इसके बाद आप किसी सरकारी या गैर सरकारी पशु चिकित्सालय में नौकरी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा पशु अनुसंधान केंद्र, डेरी फार्म आदि में नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं। शिक्षक के रूप में शिक्षण कार्य कर सकते हैं। आप अपना स्वयं का पशु चिकित्सालय भी खोल सकते हैं।
संस्थान
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली (यूपी) , बिहार पशु चिकित्सा कालेज, पटना (बिहार), भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, कलकाता (प. बंगाल),पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्विद्यालय (यूपी),मद्रास पशु चिकित्सा कालेज, चेन्नई (तमिलनाडु)।
- अविनाश चंद्रा (लोकनीति मामलों के जानकार)