कोर्ट के गलियारों में जज साहब सामने से गुजरेंगे, तब अधिकारियों को वहीं रुकना पड़ेगा। वे न तो उस दौरान उनके पहले निकल पाएंगे, न ही अपनी जगह से हिल-डुल सकेंगे। यह निर्देश हाल ही में एक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ने जारी किया है। कारण- जजों के प्रति सम्मान की भावना दर्शाना है।
मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट (यूपी) का है। तीन अप्रैल, 2019 को हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ने यह पत्र जारी किया, जबकि 30 मार्च को यह आदेश पास हुआ था। ‘सीएनएन न्यूज 18’ के लीगल एडिटर उत्कर्ष आनंद ने इस पत्र की कॉपी भी टि्वटर पर साझा की है। उन्होंने इस ट्वीट के साथ हालिया निर्देश पर लिखा, “बा अदब, बा मुलाइजा होशियार…सभी अधिकारी और कर्मचारी जब भी और जहां भी कोर्ट के गलियारों में जजों के देखें, वे वहीं रुक जाएं।”
पत्र की बात करें, तो उसमें लिखा था, “ऐसा अक्सर देखा गया है कि माननीय जज जब भी कोर्ट के गलियारों से गुजरते हैं या अपने चैंबर्स में जाते हैं तब रास्ते में उन्हें मिलने वाले कर्मचारी या फिर अधिकारी रुकते नहीं है। वे उनके वहां से निकल जाने का इंतजार तक नहीं करते। यह स्पष्ट तौर पर उनका असम्मान करना माना जाएगा।”
आगे कहा गया, “ऐसे में कर्मचारियों और अधिकारियों को आदेश दिया जाता है कि जब भी कोर्ट के गलियारों से माननीय जज गुजरें, तब वे लोग वहीं ठहर जाएं और इस तरह उन्हें सम्मान दें। अगर इस बाबत आदेश का पालन न हुआ, तो उस मामले को गंभीरता से लिया जाएगा।”
आनंद ने जैसे ही हाईकोर्ट रजिस्ट्रार के इस प्रति की तस्वीर खींचकर ट्विटर पर अपलोड की, लोग इस मसले पर अपनी प्रतिक्रियाएं देने लगे। कुछ लोगों ने कहा कि इज्जत ऐसे नहीं ली नहीं जाती, बल्कि उसे कमाया जाता है। वहीं, कुछ लोगों ने इस निर्देश को सही ठहराया। वे बोले- जजों का रास्ता है…उसके बीच में किसी को नहीं आना चाहिए।
वहीं, एक आयशा अरविंद नाम की अन्य पत्रकार ने ट्वीट किया कि बॉम्बे हाईकोर्ट में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। वहां पर भी जजों के सामने आने पर लोगों को रुकने की सलाह दी गई है। उनके ट्वीट के मुताबिक, “अगर जज कोर्ट के गलियारों से गुजर रहे होते हैं, तब पुलिस वाले यहां पर हर किसी को रोक देते हैंं।”