एंटी सीएए प्रदर्शनों के बाद उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में लोगों को रिकवरी के नोटिस भेजे गए थे। इन लोगों में दिहाड़ी मजदूर और रिक्शाचालक भी शामिल हैं। इस लिस्ट में ऐसे लोगों के भी नाम हैं जो तांगा चलाते हैं, फल बेचते हैं, रेड़ी पटरीवाले हैं या फिर दूध का व्यवसाय करते हैं। इनमें एक किशोर भी शामिल है जिसकी पढ़ाई छूट गई। सबसे कम उम्र का आरोपी 18 साल का और सबसे ज्यादा उम्र वाला 70 साल का है।
आधिकारिक रेकॉर्ड के मुताबिक इन लोगों ने कानपुर जिला प्रशासन को 13,476 रुपये का भुगतान किया है। ये उन 21 लोगों में हैं जिनको 2.83 लाख रुपये भरने का आदेश दिया गया था। 21 दिसंबर 2019 को बेकागंज में हुए एंटी सीएए प्रदर्शन के दौरान इनपर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप है।
प्रशासन के मुताबिक प्रदर्शन के दौरान 2.5 लाख कीमत की एक टाटा सूमो को आग लगा दी गई थी। इसके अलावा दो कैमरे, तीन खिड़कियां और दो दरवाजे तोड़े गए थे जिनकी कीमत 33 हजार रुपये थी। बता दें कि शनिवार को ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि लखनऊ में किस तरह से बिना सही प्रक्रिया के ही लोगों को नोटिस भेजा गया। उनसे 64.37 लाख रुपये की रिकवरी की मांग की गई।
21 में से 15 लोगों के परिवारों से जब संपर्कि किया गया तो पता चला कि 2.83 लाख रुपये का शेयर प्रतिव्यक्ति 13476 रुपये आया था। एक परिवार ने कहा कि पैसा चुकाने में उनकी सेविंग खत्म हो गई। दो परिवारों ने कहा कि उन्हें पता भी नहीं है कि उनका जुर्माना किसने भर दिया। 12 लोगों ने कहा कि उन्होंने पास पड़ोस या दोस्त रिश्तेदार से उधार लेकर वे पैसे चुकाए। उन्होंने कहा कि पुलिस लगातार दबाव बना रही थी।
बता दें कि इन सभी 15 लोगों को जेल जाना पड़ा था लेकिन बाद में ज़मानत मिल गई। इनके वकीलों ने कहा कि उनके मुवक्किल बहुत ग़रीब हैं। इनमें से एक ने कहा, हम सरकार और पुलिस को कोर्ट में चुनौती नहीं देना चाहते। हमारे पास मुकदमा लड़ने के लिए संसाधन नहीं हैं।