यूपीएससी की परीक्षाओं पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल पेपर एक कुछ कठिन था। उनका मानना है कि इस साल गैर आरक्षित उम्मीदवारों के लिए कटआफ में मामूली गिरावट आने की संभावना है। पिछले दो साल से गैर आरक्षित उम्मीदवारों के लिए कटआफ 98 घोषित की जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल संकल्पनात्मक समक्ष पर आधारित सवालों की संख्या पिछले सालों से अधिक रही। भूगोल के भाग में सबसे ज्यादा प्रश्न कृषि आधारित थे।
परीक्षा देकर आए अंकित बिश्नोई ने ट्वीट किया कि आधुनिक इतिहास (कांग्रेस), भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (गांधी), मध्यकालीन इतिहास (मुगल काल), कोरोना, चीन और अनुच्छेद 370 पर कोई सवाल नहीं पूछा गया। लेकिन यूपीएससी ने किसानों का विशेष ध्यान रखते हुए सबसे ज्यादा सवाल कृषि से ही पूछे हैं। कृषि पर आधारित सवालों में न्यूनम समर्थन मूल्य, कृषि उत्पाद खरीद, पर्यावरण के अनुकूल कृषि पद्धतियों आदि पर आधारित थे।
वहीं, प्रश्न पत्र में 14 प्रश्न सीधे-सीधे अर्थव्यवस्था से जुड़े हुए थे जिनमें गोल्ड ट्रेंच, एफडीआइ, टीआरआइएमएस, भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रित नीति, सहकारी बैंकों की भूमिका आदि के बारे में सवाल पूछे गए थे। राजनीति में मौलिक अधिकार, संविधान की प्रस्तावना, केंद्र सरकार, बुनियादी संरचना, नीति निर्देशक सिद्धांत आदि से पूछे गए जो आसान से मध्यम कठिन थे।
सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा पहले 31 मई को होनी थी लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसे स्थगित कर चार अक्तूबर को निर्धारित किया था। कोरोना महामारी के चलते यूपीएससी ने अभ्यर्थियों को अपना परीक्षा केंद्र बदलने की अनुमति दी थी। अनुमति के बाद 60 हजार अभ्यर्थियों ने अपना परीक्षा केंद्र बदला। इस परीक्षा के लिए 10.58 लाख अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया था। कोरोना महामारी के चलते हुए आयोग ने सुरक्षा के कड़े और विशेष इंतजाम किए थे। सभी अभ्यार्थियों ने मास्क पहनकर परीक्षा दी।