सपा सांसद आजम खान के एक बयान पर संसद में गुरुवार (25 जुलाई, 2019) को जमकर हंगामा हुआ। दरअसल, उन्होंने बीजेपी सांसद रमा देवी से कहा था कि वह उन्हें इतनी अच्छी लगती हैं कि वह उनकी आंखों में आंखें डालकर देखते रहें। आजम के यह कहते ही सदन में खूब हो-हल्ला होने लगा। कुछ मंत्रियों ने आजम से शब्द वापस लेने और माफी मांगने को कहा। वहीं, उस वक्त अध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन रमा देवी ने भी सपा सांसद के बयान पर आपत्ति जताई। बोलीं, “यह बात करने का तरीका नहीं होता। कृपया अपने शब्द वापस लें।”
हुआ यूं कि चर्चा के दौरान आजम बीजेपी सांसदों की ओर देखकर शेर पढ़ रहे थे। रमा देवी ने इसी पर सपा सांसद को टोकते हुए कहा, “आप इधर-उधर न देखें, आप इधर देखकर बात कीजिए।” आजम ने इसी के जवाब में कहा- मैं तो आपको इतना देखूं कि आप मुझसे कहें कि नजर हटा लो। अध्यक्ष महोदया, आप मुझे इतनी अच्छी और प्यारी लगती कि मैं आपकी आंखों में आंखें डाले रहूं, ऐसा मेरा मन करता है।
रमा देवी ने पहले तो कहा, ‘मैं छोटी बहन जो हूं आपकी।’ सदन में तुरंत हो-हल्ला होने लगा, जिसके बाद वह बोलीं कि यह बोलने का तरीका है। सपा नेता इसी पर सफाई देते हुए कहने लगे- मेरी आप अध्यक्ष हैं, सम्मानीय हैं। प्यारी हैं और मेरी बहन हैं। आप लोग (बीजेपी सांसद) ऐसी बात क्यों करते हैं?
इसी बीच, बीजेपी अर्जुन राम मेघवाल उठे और टोकने लगे कि ये शब्द वापस लीजिए। रविशंकर प्रसाद उठे और कहने लगे कि हमने माननीय सपा सांसद को सुना। उन्हें मालूम है कि अध्यक्ष को कैसे संबोधित करते हैं, यह उन्हें पता है। ऐसे में उन्हें (आजम) को माफी मांगनी चाहिए। रमा देवी ने इसके बाद आजम द्वारा इस्तेमाल किए गए उस बयान को सदन की कार्यवाही से हटवा दिया, जबकि आजम ने माफी नहीं मांगी।
कुछ देर बाद सदन में स्पीकर ओम बिरला आए, जिन्होंने आजम के लिए नसीहत देते हुए कहा कि ऐसी भाषा गलत है। किसी भी माननीय सदस्य को लेकर ऐसी बात बोलने का किसी को अधिकार नहीं है। सदन में उस दौरान हो-हल्ले के बीच आजम वहां से वॉक आउट कर गए। वैसे आजम ने इससे पहले कहा था कि उन्होंने असंसदीय शब्द नहीं बोले हैं। अगर उनकी भाषा असंसदीय है, तब वह इस्तीफा देने को राजी हैं।
उधर, सपा चीफ अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर आजम का बचाव किया। कहा, “मुझे नहीं लगता कि आजम जी के बयान से रमा देवी जी का अपमान हुआ है। ये (बीजेपी सांसद) लोग बहुत असभ्य हैं, ये कौन होते हैं अंगुली उठाने वाले?”
सदन में इसके बाद भी कई नेता सपा सांसद द्वारा बयान वापस लिए जाने की मांग उठा रहे थे, जिस पर स्पीकर ने कहा- आप लोगों के लिए ‘बयान वापस लीजिए’ (आजम से) कहना बहुत सरल है। पर आखिरकार इसे वापस लेने की नौबत ही क्यों आई? एक बार अगर बयान दे दिया गया, तो फिर वह सार्वजनिक हो गया। ऐसे में हमें संसद की गरिमा को ध्यान में रखकर बोलना चाहिए।
देखें, क्या हुआ था उस दौरानः