बिहार की राजनीति में उपेंद्र कुशवाहा का वो कद नहीं है तो लालू यादव, नीतीश कुमार या फिर रामविलास पासवान का रहा। कभी वो कर्पूरी ठाकुर और जय प्रकाश नारायण के नजदीकी हुआ करते थे। वहीं से राजनीति के गुर सीखे लेकिन उपेंद्र को उपेंद्र कुशवाहा का नाम नीतीश की वजह से ही मिला। वो जानते से कि बिहार का कास्ट फैक्टर क्या है। इसी वजह से नीतीश ने उनसे कहा कि वो अपने नाम में कुशवाहा लगाए।
नीतीश की सलाह रंग लाई और कॉलेज लेक्चरर से उपेंद्र कुशवाहा विधानसभा जा पहुंचे। उन्हें नीतीश का सबसे करीबी और प्यारा यानि Blue-eyed boy शुमार किया जाने लगा। लेकिन हाल फिलहाल के दौर में उनका नीतीश के साथ आंकड़ा दुरुस्त नहीं बैठ रहा। यही वजह है कि वो नीतीश कुमार की जदयू से किनारा करके अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को फिर से जिंदा करने की कोशिशों में लगे हैं। माना जा रहा है कि वो जल्दी ही नीतीश कुमार का दामन छोड़कर अपनी पार्टी में जान फूंकेंगे और बीजेपी के साथ मिलकर बिहार में एक मजबूत गठजोड़ खड़ा करेंगे।
सूत्रों की मानें तो उपेंद्र और नीतीश के बीच की दूरी की वजह राजद और तेजस्वी यादव हैं। नीतीश ने बीजेपी का साथ छोड़कर जब राजद का दामन थामा तो उपेंद्र को लगा था कि बिहार में दो डिप्टी सीएम वाला फार्मूला लागू होना चाहिए। यानि डिप्टी सीएम की एक कुर्सी तेजस्वी के पास रहे और दूसरी उपेंद्र कुशवाहा को मिले। जदयू के संसदीय दल के चेयरमैन और एमएलसी उपेंद्र कुशवाहा को उस समय धक्का लगा जब नीतीश ने डिप्टी सीएम की कुर्सी के लायक उनको नहीं समझा। यहीं से दोनों के बीच दरार पैदा होने लगी। हालांकि उपेंद्र पहले भी नीतीश से दूर हो चुके हैं। वो 2021 में फिर से नीतीश के साथ आए थे। उन्होंने अपनी पार्टी को जदयू में मर्ज करा दिया था। माना जाने लगा कि वो अपना भविष्य अब जदयू में तलाश करेंगे। लेकिन नीतीश ने जैसे ही 2025 के लिए तेजस्वी के कमान सौंपने की बात कही, उपेंद्र को अपना भविष्य अंधकारमय लगने लगा।
उपेंद्र कुशवाहा वैशाली के Jandaha college में लेक्चरर रहे थे। नीतीश के साथ वो कई बार आए और फिर उनसे किनारा कर गए। 2013 में नीतीश ने बीजेपी से किनारा किया तो उपेंद्र कुशवाहा बिहार में कमल को खिलने में लग गए। बीजेपी के साथ उनकी दोस्ती खासा रंग लाई। उनके तीन नेता लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे। खुद कुशवाहा संसद सदस्य बने और फिर केंद्रीय मंत्री। लेकिन 2015 में जब नीतीश ने फिर से बीजेपी का दामन थामा तो कुशवाहा बीजेपी में गौड़ हो गए। उसके बाद वो मजबूत धरातल की तलाश में लगे रहे। आखिर में जदयू में ही लौटकर आए।