UP Elections 2022: उत्तर प्रदेश में दूसरे चरण का मतदान 14 फरवरी (सोमवार) 2022 को है। इस दिन 55 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। सियासी जानकारों के मुताबिक इस फेज में मुस्लिम वोट काफी निर्णायक माने जा रहे हैं, जबकि सूबे के पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का पलड़ा भारी था।
जिन नौ जिलों की 55 सीटों पर मतदान होना है, उनमें सहारनपुर (सात सीट), मुरादाबाद (छह), रामपुर (पांच), अमरोहा (चार), शाहजहांपुर (छह), बिजनौर (आठ), संभल (चार), बदायूं (छह) और बरेली (नौ) शामिल हैं।
बीते चुनाव यानी कि साल 2017 की बात करें तो उस चुनाव में इन 55 सीटों पर बीजेपी के हिस्से 38, अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) को 15 और कांग्रेस को दो सीटें मिली थीं। वहीं, मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) खाता तक नहीं खोल पाई थी।
वहीं, साल 2019 में हुए आम चुनाव के नतीजों और प्रदर्शन पर निगाह फिराएं तो इस क्षेत्र की कुल 11 सीटों पर सपा-बसपा गठबंधन के पाले में सात सीटें गई थीं। इनमें बसपा के खाते में सहारनपुर, नगीना, बिजनौर व अमरोहा तो सपा के पास मुरादाबाद, संभल और रामपुर सीट गई थीं, जबकि बीजेपी को चार सीटें मिली थीं।
दूसरे चरण की सीटों पर मुस्लिम वोटरों का असर इससे भी लगाया जा सकता है कि कुछ क्षेत्रों-सीटों पर ऐसे मतदाता 50 फीसदी से अधिक हैं। मसलन मुरादाबाद की पांच सीटों पर 50 से 55 फीसदी मुस्लिम मतदाता, बिजनौर की आठ सीटों पर 40 से 50 फीसदी मुस्लिम वोटर, रामपुर की पांच सीट पर 50 फीसदी वोट देने वाले, संभल की चार सीट पर मुस्लिम और यादव वोट मिलाकर 60 प्रतिशत हैं। बरेली में आठ सीटों पर 40 फीसदी मुस्लिम मतदाता, अमरोहा की चार सीटों पर 50 फीसदी मुस्लिम वोटर्स, बदायूं की छह सीटों पर 40 से 45 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं।
चूंकि, मुस्लिम वोटर इस फेज के चुनाव में अहम भूमिका निभा सकता है, लिहाजा सियासी दलों की ओर से भी कई मुस्लिम कैंडिडेट्स को मैदान में उतारा गया है। सपा+ की ओर से यह आंकड़ा 20, बसपा से 23, कांग्रेस से 20 तो बीजेपी+ से एक है।
वैसे, इस चुनाव में सपा, बसपा और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं। ओवैसी की एआईएमआईएम भी मैदान में है। ऐसे में सियासी जानकारों का मानना है कि मुस्लिम वोट इधर-उधर बंटेगा। ऐसे में इसका लाभ बीजेपी को हो सकता है।