लालू को सता रहा डर कहीं फिसल न जाए बेटे तेज प्रताप की जुबान, दिलवा रहे बोलने की ट्रेनिंग
सूत्रों की मानें तो पार्टी तेज प्रताप को इसलिए 'प्रोटेक्शन' दे रही है, ताकि उनकी जुबान न फिसल जाएगी।

17 जनवरी 2016 को लालू प्रसाद यादव को नौवीं बार राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का अध्यक्ष चुना गया था। उस वक्त पटना के कृष्णा मैमोरियल हॉल में उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने भाषण दिया था और आरएसएस पर जमकर कटाक्ष किए थे। उन्होंने मोहन भागवत से पूछा था कि आरएसएस वाले हाफ पेंट्स क्यों पहनते हैं? इसी समारोह में लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव भी उपस्थित थे और उन्होंने सुशासन को अपनी सरकार का एजेंडा बताया। लेकिन समारोह में उपस्थित तेज प्रताप कुछ नहीं बोले। वह चुप रहे और तालियां बजाते रहे।
30 जनवरी को पटना में होम्योपैथी कांग्रेस का आयोजन किया गया था। प्रदेश का स्वास्थ्य मंत्री होने नाते इस कार्यक्रम में तेज प्रताप यादव को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया था। कार्यक्रम में लोग उनका इंतजार करते रहे, लेकिन वह नहीं आए। हां, लालू यादव जरूर इस कार्यक्रम में शामिल हुए और लोगों से कहा कि तेज प्रताप को एक जरूरी मीटिंग में जाना पड़ा। 31 जनवरी को राघोपुर में पुल निर्माण कार्य की शुरुआत के कार्यक्रम में नीतीश कुमार, लालू यादव, तेजस्वी यादव ने भाषण दिया, लेकिन तेज प्रताप वहां भी खामोश थे। लालू यादव ने तेज प्रताप को जब से राजनीति में लॉन्च किया है, वह तभी से खामोश हैं। वह थोड़ा-बहुत उसी वक्त बोले थे, जब महुआ विधानसभा क्षेत्र में उनके चुनाव-प्रचार के लिए नीतीश कुमार आए थे। इससे पहले नामांकन के वक्त उन्होंने महुआ विधानसभा क्षेत्र को इंडस्ट्री हब बनाने का वादा किया था। इन दो मौकों के बाद शपथ लेते वक्त वह बोले थे, लेकिन अपेक्षित को उपेक्षित पढ़ गए थे और तभी से वह बिल्कुल खामोश हैं।
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सूत्रों की मानें तो पार्टी तेज प्रताप को इसलिए ‘प्रोटेक्शन’ दे रही है, ताकि उनकी जुबान न फिसल जाए। वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से सलाह ले रहे हैं, जिससे कि वह अपनी भाषण शैली को बेहतर कर सकें। खुद लालू यादव भी उन्हें तैयार कर रहे हैं। आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा ने कहा, ‘वह सार्वजनिक तौर पर अपनी बात नहीं कह पाते हैं, पर वह तेजी से सीख रहे हैं।’ उन्हें लगता है कि इस मुद्दे को लेकर तेज प्रताप के पीछे पड़ना गैरजरूरी है। तेज प्रताप की खामोशी सिर्फ सार्वजनिक कार्यक्रमों तक सीमित नहीं है, बल्कि वह विधानसभा में भी चुप रहते हैं। तेजस्वी यादव नीतीश सरकार में नंबर दो की हैसियत रखते हैं, जबकि तेज प्रताप नंबर तीन। फिर भी उन्होंने विधान परिषद के सेशन को अटेंड नहीं किया। कहा जा रहा था, इसमें वह स्वास्थ्य विभाग संबंधी प्रश्नों के उत्तर देंगे, लेकिन वह नहीं आए और कारण बताया गया कि उनकी तबियत खराब है।
बीजेपी नेता सुशील कुमार ने कहा कि तेज प्रताप हाउस में नहीं बोलते हैं। जब ऐसा लगता है कि वह अपने विभाग से संबंधित सवालों का जवाब देंगे, तभी वह कोई न कोई बहाना बना देते हैं, जिससे कि उन्हें बोलना न पड़े। वहीं, आरजेडी के सहयोगी दलों के नेताओं का कहना है कि थोड़े समय की बात है, वह जल्दी सीख जाएंगे।
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