कुमार ने कहा कि शैक्षणिक सत्र 2022-23 के दौरान सीयूईटी-स्रातक को अपनाने वाले विश्वविद्यालयों का अनुभव इस परीक्षा को लेकर अच्छा रहा है। यही वजह है कि और भी विश्वविद्यालय इससे जुड़ने के इच्छुक हैं। शैक्षणिक सत्र 2022-23 करीब 90 विश्वविद्यालयों ने सीयूईटी-स्रातक के माध्यम से दाखिले दिए थे। इनमें 44 केंद्रीय विश्वविद्यालय, 13 राज्य विश्वविद्यालय, 12 मानद विश्वविद्यलाय और 18 निजी विश्वविद्यालय शामिल थे।
यूजीसी अध्यक्ष ने बताया कि बहुत सारे विश्वविद्यालयों की ओर से आयोग से सीयूईटी-स्रातक से जुड़ने से संबंधित पूछा जा रहा है। कुमार ने कहा कि शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए होने वाली साझा विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा, स्रातक से बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय जुड़ेंगे। हालांकि उन्होंने संख्या बताने से इनकार किया लेकिन यह संख्या 150 से ज्यादा हो सकती है। इसको लेकर आयोग फरवरी में पुख्ता ढंग से बता पाएगा जबकि सीयूईटी-स्रातक के लिए आवेदन शुरू होंगे।
सीयूईटी-स्रातकोत्तर को सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए अनिवार्य नहीं करने के पीछे के कारण पर कुमार ने कहा कि स्रातकोत्तर स्तर पर दाखिला लेने वालों की संख्या स्रातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने के इच्छुक विद्यार्थियों के मुकाबले कम होती है। उन्होंने कहा कि स्रातक स्तर पर दाखिला लेने वाले विद्यार्थी अलग-अलग बोर्ड से आते हैं जिनका स्तर अलग-अलग होता है।
उन्होंने कहा कि इसलिए हमने सीयूईटी-स्रातक को सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए अनिवार्य किया है जबकि सीयूईटी-स्रातकोत्तर को अनिवार्य नहीं किया है। हमने केंद्रीय विश्वविद्यालयों को सीयूईटी-स्रातकोत्तर में जुड़ने की स्वतंत्रता दी है। हालांकि यूजीसी अध्यक्ष ने यह भी कहा कि सीयूईटी के फायदों को देखते हुए विश्वविद्यालय खुद आगे कर इससे जुड़ना पसंद करेंगे।
जुलाई में शुरू होगा डिजीटल विश्वविद्यालय
कुमार ने बताया कि डिजीटल विश्वविद्यालय को शुरू करने प्रक्रिया बहुत तेजी से चल रही है। उन्होंने कहा कि मुझे आशा है कि हम जुलाई, 2023 में इस विश्वविद्यालय को शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि हम इस विश्वविद्यालय की शुरुआत सर्टिफिकेट और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों से करेंगे। पहले हम वे पाठ्यक्रम शुरू करेंगे जिसकी डिजीटल सामग्री हमारे पास ‘स्वयं’ पर उपलब्ध हैं।
कुमार ने बताया कि ‘स्वयं’ पर दो हजार से अधिक पाठ्यक्रम मौजूद हैं। यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि इस डिजीटल विश्वविद्यालय को संसद में कानून पास कराकर स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय किसी भी राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान की तरह ही होगा ताकि इसके माध्यम से उपाधि हासिल करने वाले विद्यार्थियों को भविष्य में कोई परेशानी न हो। कुमार ने कहा कि डिजीटल विश्वविद्यालय की स्थापना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के महत्त्वपूर्ण प्रावधानों में शामिल है जो देश के हर विद्यार्थी के जीवन को स्पर्श करेगा।
उन्होंने कहा कि जो विद्यार्थी आफलाइन पाठ्यक्रम पढ़ रहे हैं, वे भी डिजीटल विश्वविद्यालय के माध्यम से अपनी पसंद का पाठ्यक्रम घर बैठे कर पाएंगे। इसके अलावा जो विद्यार्थी किन्हीं कारणों से आफलाइन कक्षाओं में जाकर अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकते हैं, वे भी इस नए जमाने के विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी कर पाएंगे। इसके लिए हमारे पास ‘स्वयं’ के अलावा 200 के करीब टीवी चैनल भी हैं।
निजी विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए नए नियमन जल्द आएंगे
यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत निजी विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए जल्द ही नए नियमन आएंगे। उन्होंने बताया कि निजी विश्वविद्यालयों के लिए 2003 में नियमन आए थे। अब 20 साल बाद हम नए नियमन लाने जा रहे हैं ताकि निजी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के गुणवत्ता को और बेहतर किया जा सके। इन विश्वविद्यालयों में समानता और पहुंच को भी सुधारा जाएगा। कुमार ने कहा कि आयोग फीस के मामले में कभी नियम नहीं बनाता है, इसलिए आगे भी शुल्क से संबंधित नियम बनाने की संभावना कम ही है। शुल्क के संबंध में हर राज्य में अपना नियामक होता है।