जम्मू-कश्मीर में नहीं दिखेंगे मुस्लिम देशों के प्राइवेट चैनल्स, केंद्र सरकार ने प्रसारण पर लगाई रोक
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इसे लेकर एक एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी के अनुसार, केबल टीवी ऑपरेटरों को केबल टीवी नियमों के तहत उनके दायित्वों की याद दिलाई गई है।

जम्मू-कश्मी से अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान पांच अगस्त को समाप्त करने के बाद से कश्मीर घाटी में संचार व्यवस्था और इंटरनेट बाधित करने सहित अनेक पाबंदियां लगाई गई हैं। हालांकि समय-समय पर सरकार ये कहती आई है कि घाटी में स्थिति सामान्य हो चुकी है और पाबंदियां हटा दी गई हैं। संचारबंदी और लॉकडाउन के बाद केंद्र सरकार ने अब इस नवगठित केंद्र शासित प्रदेश के केबल टीवी ऑपरेटरों को चेतावनी दी है और मुस्लिम देशों के प्राइवेट चैनल्स न दिखने को कहा है। केंद्र ने ईरान, पाकिस्तान, तुर्की और मलेशिया जैसे मुस्लिम देशों में स्थित निजी टीवी चैनलों के किसी भी कंटैंट को प्रसारित करने से मना किया है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इसे लेकर एक एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी के अनुसार, केबल टीवी ऑपरेटरों को केबल टीवी नियमों के तहत उनके दायित्वों की याद दिलाई गई है। नोट में लिखा है कि मंत्रालय के संज्ञान में आया है कि कुछ निजी चैनल जिन्हें मंत्रालय द्वारा अनुमति नहीं है, कुछ केबल ऑपरेटरों के नेटवर्क पर प्रेषित किए जा रहे हैं। यह प्रोग्राम कोड के तहत केबल टीवी नियमों के उप-नियम 6(6) का स्पष्ट उल्लंघन है और इस पर तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विक्रम सहाय द्वारा हस्ताक्षरित एडवाइजरी में केबल टीवी ऑपरेटरों को चेतावनी दी गई है कि यदि वे नियमों का उल्लंघन करते हैं तो उनके लाइसेंस वापस ले लिए जाएंगे। इतना ही नहीं उल्लंघन करने पर उपकरणों को जब्त करने सहित उन्हें दंडात्मक कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है। हालही में सहाय टीवी ऑपरेटरों से मिलने श्रीनगर भी आए थे। संचारबंदी और प्रदेश में लॉकडाउन के बाद से केबल टीवी ऑपरेटरों का काफी नुकसान हुआ है।
बीते 72 सालों से एक ही राज्य का हिस्सा रहे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील कर दिया गया है। देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती को सरकार ने इस बदलाव के लिए चुना था। बता दें कि 5 अगस्त को सरकार ने संसद में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35A हटाने का फैसला लिया था। इसके अलावा राज्य का दर्जा समाप्त कर उसे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के तौर पर दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन का ऐलान किया गया था। केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद अब जम्मू-कश्मीर का कोई अलग झंडा और संविधान नहीं होगा और इसके बाद देश में अब राज्यों की संख्या 28 रह गई है, जबकि केंद्र शासित प्रदेश 9 हो गए हैं।
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