देश के नए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव पहले नहीं जानते थे कि लॉयन डे, टाइगर डे और एलिफेंट डे सरीखे जानवरों को समर्पित दिवस भी मनाए जाते हैं।
यह बात उन्होंने विश्व हाथी दिवस (World Elephant Day) के मौके पर गुरुवार (12 अगस्त, 2021) को कही। संबोधन में उन्होंने बताया, “पहले तक मैं विभिन्न जानवरों को लेकर मनाए जाने वाले दिवसों से परिचित नहीं था। मैं पहले इस बारे में अधिक ध्यान भी नहीं देता था। पर अब मुझे मालूम है कि टाइगर डे, लायन डे और एलिफेंट डे आदि भी होते हैं।”
यादव ने वहां मौजूद मंत्रालय के अधिकारियों से यह भी कहा कि भविष्य में इस तरह के आयोजनों में शामिल होने के लिए मुख्यालय से जुड़ने के लिए वन्यजीव वार्डन और वन कर्मचारी होने के बजाय, ऐसे प्रत्येक दिन के लिए एक अभयारण्य या आर्द्रभूमि (वेट लैंड) का चयन किया जाना चाहिए और मंत्रालय को इसके बजाय वस्तुतः उनसे जुड़ना चाहिए। बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा, “काम को जमीन पर उतारा जाना चाहिए।”
बकौल यादव, “हमें उन क्षेत्रों की पहचान करने की जरूरत है जहां मानव-पशु संघर्ष होते हैं। हमें इन मुद्दों को हल करने के लिए नीति तैयार करते समय स्थानीय क्षेत्रों का दौरा करना होगा।’’ मंत्री ने एक कार्यक्रम में यह बात कही जिसमें उन्होंने हाथी और बाघों की आबादी के आकलन के लिए अखिल भारतीय समकालिक पद्धति जारी की। यादव ने कहा कि शेर संरक्षण का मुद्दा आने के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह-सात दिनों तक गिर में डेरा डाला था।
उनके मुताबिक, ‘‘एशियाई शेर अगर कहीं भी सुरक्षित है तो वे गिर (गुजरात) में हैं और इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाता है, क्योंकि उन्होंने जमीनी स्तर पर काम किया।’’ मंत्री ने कहा कि पशु संरक्षण जमीनी स्तर पर काम किए बिना नहीं हो सकता क्योंकि केवल तकनीक के जरिए यह मुमकिन नहीं है। जनभागीदारी और स्थानीय क्षेत्र का ज्ञान इसके लिए आवश्यक है। एक आकलन के मुताबिक दुनिया भर में 50 हजार से 60 हजार एशियाई हाथी हैं, जिनमें से 60 फीसदी से अधिक भारत में हैं। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)