नए संसद भवन से ‘गुपचुप’ अपने आवास पहुंच जाएंगे प्रधानमंत्री! उप राष्ट्रपति के आवास तक भी बनेगी सुरंग
सुरक्षा प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए संसद भवन को सुरंग के द्वारा सांसदों के चैंबर से जोड़ा जाएगा। इतना ही नहीं संसद भवन से 'गुपचुप' अपने आवास तक पहुँचने के लिए प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति के आवास तक भी सुरंग बनाई जाएगी।

राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के बीच नई इमारतों के लिए सेंट्रल विस्टा का मास्टर प्लान तैयार कर लिया गया है। सुरक्षा प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए संसद भवन को सुरंग के द्वारा सांसदों के चैंबर से जोड़ा जाएगा। इतना ही नहीं संसद भवन से ‘गुपचुप’ अपने आवास तक पहुँचने के लिए प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति के आवास तक भी सुरंग बनाई जाएगी।
इस इलाके में संसद के दोनों सदनों के लिए ज्यादा सदस्यों की क्षमता वाली नई इमारतें बनाई जाएंगी। साथ ही केंद्रीय सचिवालय के लिए 10 नई इमारतें बनाई जाएंगी। राष्ट्रपति भवन, मौजूदा संसद भवन, इंडिया गेट और राष्ट्रीय अभिलेखागार की इमारत को वैसा ही रखा जाएगा। सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना के अनुसार, नया पीएम हाउस और पीएमओ साउथ ब्लॉक की तरफ बनेगा। वहीं नॉर्थ ब्लॉक के पीछे उपराष्ट्रपति आवास बनेगा। अभी उपराष्ट्रपति आवास लुटियंस जोन में ही है, लेकिन साउथ और नाॅर्थ ब्लॉक से दूर है।
वहीं प्रधानमंत्री आवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर है। इस आवास को साउथ ब्लॉक के पास बनाने से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि प्रधानमंत्री के अपने आवास से दफ्तर और संसद आने-जाने के लिए ट्रैफिक नहीं रोकना पड़ेगा। नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में नेशनल हिस्ट्री म्यूजियम बनेगा। दोनों इमारतों के दफ्तर सेंट्रल एवेन्यू की पहली दो इमारतों में शिफ्ट होंगे।
सांसदों के चैंबर संसद के पास संसद के ट्रांसपोर्ट और श्रम शक्ति भवन के पास बनेंगे। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रस्तावित सुरंग सिंगल लेन होंगी और इसका उपयोग विशेष रूप से नामित व्यक्तियों द्वारा किया जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि गोल्फ कार्ट का उपयोग कर इस सुरंग से संसद तक पहुंचा जा सकता है। राष्ट्रपति भवन को इससे लिंक नहीं किया गया है क्योंकि वह दूर है और राष्ट्रपति संसद में कम ही जाते हैं।
राष्ट्रीय अभिलेखागार इमारत के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होगी, बल्कि इस इलाके की सभी हैरिटेज इमारतों को वैसा ही रखा जाएगा। राष्ट्रपति भवन के पीछे नेशनल बायोडायवर्सिटी आर्बरीटम बनेगा। इसमें ग्लास हाउस बनाकर दुर्लभ पौधों को संरक्षित किया जाएगा। वहीं यमुना किनारे न्यू इंडिया गार्डन विकसित होगा।