महाराष्ट्र के यवतमाल जिले की टीपेश्वर वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी में स्थित एक बाघ ने मराठवाड़ा क्षेत्र के उत्तरी भाग में स्थित हिंगोली में प्रवेश करने के लिए लगभग 200 किमी की यात्रा की। इस बात की जानकारी एक वन अधिकारी ने पीटीआई को दी। अपने इस सफर के दौरान इस बाघ ने गांव की चार गायों को अपना शिकार बनाया।
अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि बाढ़ ने क्षेत्र में चार गायों का शिकार किया है और उसकी गतिविधि केवल कृषि बेल्ट के आसपास ही देखी गई है। वन अधिकारी केशव वबल ने कहा, “पूर्ण विकसित बाघ पर एक रेडियो कॉलर लगा हुआ है, और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) की एक टीम वर्तमान में उसकी गतिविधियों की निगरानी कर रही है।”
अपनी यात्रा के दौरान, बाघ ने हिंगोली तालुका के गांवों में चार गायों का शिकार किया है। उन्होंने कहा कि बाघ के पग के निशान को ट्रैक किया गया है और अधिकारियों को हर 12 घंटे में उसके स्थान के बारे में अपडेट मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि खंडाला और कलगाँव में ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं, जो बाघ को पकड़ने में मदद करेंगी। वेबल ने कहा “बाघ वर्तमान में हिंगोली के गैर-जंगल क्षेत्र में घूम रहा है, जहां अधिकांश भूमि खेती के अधीन है।”
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अधिकारी ने कहा कि डब्ल्यूआईआई टीम के निष्कर्ष बताते हैं कि वह आदमखोर नहीं हुआ है लेकिन अगर उसे खतरा महसूस होगा तो वह हमला कर सकता है। अधिकारी ने बताया, “हम उसकी गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं और संभावना है कि बाघ मेलघाट की ओर बढ़ सकता है। हमारी टीमों को आसपास के इलाकों में तैनात किया गया है।” उन्होने आगे कहा कि अगर बाग कृषि क्षेत्र में ही रेहता है तो वरिष्ठ अधिकारियों को आगे के दिशानिर्देश जारी करने होंगे।
बाघ की यात्रा को ट्रेस करते हुए, वबल ने कहा कि बाघ ने अबतक लगभग 200 किमी की दूरी तय की है। वेबल ने आगे कहा “बाघ तेलंगाना को पार कर टिपेश्वर लौट आया है। उसने फिर उमरखेड इलाके में पेंगंगा को पार किया और आगे इसापुर अभयारण्य में चला गया और पुसाद-वाशिम सीमा में चला गया और अंत में उसने हिंगोली में प्रवेश किया।”