रंग दे बसंती व जय जवान जय किसान के नारे के साथ दिल्ली पहुंचे किसान
ढोल-ताशे के शोर के बीच सड़क के दोनों किनारे विभिन्न स्थानों पर खड़े लोगों ने किसानों पर फूल बरसाए। वाहनों पर झंडों के साथ खड़े प्रदर्शनकारी ‘ऐसा देश है मेरा’ जैसे देशभक्ति गीतों की धुन पर नाचते नजर आए।

हजारों किसान मंगलवार को ‘रंग दे बसंती’ और ‘जय जवान जय किसान’ के नारे लगाते हुए राष्ट्रीय राजधानी की सीमा में दाखिल हुए। वे ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल, घोड़ों और यहां तक की क्रेन पर सवार होकर निकले। ढोल-ताशे के शोर के बीच सड़क के दोनों किनारे विभिन्न स्थानों पर खड़े लोगों ने किसानों पर फूल बरसाए। वाहनों पर झंडों के साथ खड़े प्रदर्शनकारी ‘ऐसा देश है मेरा’ जैसे देशभक्ति गीतों की धुन पर नाचते नजर आए।
परेड में घोड़े पर सवार होकर शामिल हुए प्रदर्शनकारी गगन सिंह ने कहा, ‘लोग सोचते हैं कि किसान केवल खेत में काम करता है, लेकिन किसानों की जिंदगी में बहुत कुछ है। हम मोटर साइकिल भी चलाते हैं और घुड़सवारी भी करते हैं लेकिन पूजा अपने ट्रैक्टरों की ही करते हैं जिनसे हमारी रोजीरोटी चलती है।’
उन्होंने कहा, ‘आज सब कुछ इस ऐतिहासिक रैली में प्रदर्शित किया जाएगा।’ ट्रैक्टर चला रही परमजीत बीबी ने कहा, ‘महिलाएं केवल सामुदायिक रसोईघर में खाना बनाने के लिए नहीं हैं। हम पुरुषों की खेत में मदद करते हैं और मजबूत संदेश देने के लिए इस रैली में ट्रैक्टर चला रही हैं।’ हरियाणा के यमुनानगर के रहने वाले किसान आदित्य पजेट्टा सिंघू बॉर्डर से मार्च के दौरान कंधे पर 15 किलो वजनी हल लेकर चल रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘हम इस हल को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। हम पीढ़ियों से खेती करते आ रहे हैं और यह शर्मनाक होगा अगर उनकी विरासत नहीं बचाई गई। मैंने सिंघू बॉर्डर से मार्च शुरू किया है और समापन स्थल तक इस हल को कंधे पर उठाए रहूंगा।’ रैली में शमिल क्रेन के सबसे ऊपर अस्थायी मंच बनाया गया जबकि उसके अगले हिस्से में लोगों के बैठने के लिए गद्दे बिछाए गए हैं। परेड में शामिल लोगों को तिलक कर रहे परिवार की सदस्य रानी देवी ने कहा, ‘हम किसानों की मांग का समर्थन करते हैं। हम उनकी उपज की वजह से जिंदा हैं और अब समय है कि हम उनके लिए खड़े हो। हम उनकी भावना को सलाम करते हैं।’
ट्रैक्टर परेड देखने छतों पर उमड़े लोग
नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों की ट्रैक्टर परेड देखने के लिए हजारों लोग जहां सड़कों के किनारे एकत्र हुए, वहीं घरों की छतों और बॉलकनी में भी लोगों का जमावड़ा रहा। टिकरी, सिंघू, गाजीपुर और अन्य सीमा बिंदुओं से निकाली गई परेड का स्थानीय लोगों ने फूल बरसा कर स्वागत भी किया। साथ ही लोगों ने प्रदर्शनकारियों को पेयजल और खाद्य पदार्थ वितरित किए और नारेबाजी में उनका साथ देख कर हौसला बढ़ाया।
स्कूल की सेवानिवृत्त शिक्षिका 62 साल की अनीता बटवाल ने कहा, ‘मैंने ऐसी ट्रैक्टर परेड पहले कभी नहीं देखी थी। यह मेरे लिए नया भारत है। मैं इसे अपने नाती-पोतों के लिए रिकॉर्ड कर रही हूं, क्योंकि वह इसकी अहमियत समझने के लिए अभी बहुत छोटे हैं।’ परेड देखने के लिए खड़े कई लोगों ने किसानों को अपना भाई और अतिथि बताया।
बूढपुर की निवासी कमला ने कहा, ‘मेरे पति और मैं उनका स्वागत करने आए हैं। वह हमारे अतिथि हैं। अदालती लड़ाई में हमें उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन गंवानी पड़ी, हम उनका दर्द समझते हैं।’’ गाजीपुर से ट्रैक्टर परेड लेकर आ रहे किसानों को देखने के लिए आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए और हाथ हिलाकर उनका अभिवादन किया।
परेड में हिस्सा लेने वाले पंजाब के गुरदासपुर के निवासी 23 वर्षीय जसपाल सिंह ने कहा, ‘यह हमारी उम्मीद से अधिक बड़ी परेड है। स्थानीय लोगों ने रास्ते भर हमारा उत्साहवर्धन किया। जो हमारा है उसे हम लेकर रहेंगे। अब दिल्ली दूर नहीं।’ मुंडका के पास भी लोगों ने परेड निकाल रहे किसानों का स्वागत किया और पुष्पवर्षा की।