महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने बुधवार को सदन की विशेष बैठक के दौरान मंत्रियों की अनुपस्थिति को लेकर राज्य सरकार की जमकर खिंचाई की, क्योंकि इसके कारण आठ में से सात ध्यानाकर्षण नोटिस को स्थगित करना पड़ा। उन्होंने यहां तक कहा कि एकनाथ शिंदे सरकार के मंत्री सदन को ही गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। ये बेशर्मी की पराकाष्ठा है। इस पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को माफी मांगनी पड़ी।
एक ध्यानाकर्षण नोटिस सदन के सदस्यों को बहुत जरूरी सार्वजनिक महत्व के मामले पर मंत्री का ध्यान आकर्षित करने की अनुमति देता है। यह मुद्दा तब उठा जब विधानसभा का बजट सत्र चल रहा था। दिन की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू हुई। जैसे ही विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने प्रश्नकाल शुरू किया। अजित पवार ने गुस्से से कहा कि आज की विशेष बैठक में कुल आठ ध्यानाकर्षण नोटिस सूचीबद्ध थे। लेकिन इनमें से केवल एक (पर्यटन से संबंधित) नोटिस पर चर्चा की अनुमति दी गई, क्योंकि पर्यटन मंत्री सदन में मौजूद थे।
आठ ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाए गए, मंत्री नहीं थे तो एक पर ही चर्चा हो सकी
अजित पवार ने कहा कि अन्य मंत्रियों की अनुपस्थिति के कारण बाकी सभी ध्यानाकर्षण नोटिसों पर होने वाली चर्चा को टालना पड़ा। विधायी कार्य मंत्री चंद्रकांत पाटिल की अनुपस्थिति पर सवाल उठाते हुए पवार ने कहा कि यह बेशर्मी की पराकाष्ठा है। मंत्री विधायी कार्यों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। वो मंत्री बनना चाहते हैं पर अपने विभागों से संबंधित कार्यों को नहीं करना चाहते। इस पर खेद व्यक्त करते हुए फडणवीस ने कहा कि सभी मंत्रियों से कहा जाएगा कि जब उनके विभागों से संबंधित मुद्दों को विधानसभा में उठाया जाए तो वे उपस्थित रहें। बहरहाल अजित पवार के तेवर और फडणवीस की माफी असेंबली में चर्चा का विषय बन गई।
देवेंद्र पडणवीस एकनाथ शिंदे की सरकार में डिप्टी सीएम हैं। जबकि अजित पवार को एमवीए ने नेता प्रतिपक्ष बनाया है। विपक्ष और सरकार के बीच तल्खी इस वजह से भी ज्यादा है, क्योंकि उद्धव सरकार से बगावत के बाद शिवसेना के ही एक धड़े ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। फिलहाल सरकार और विपक्ष एक दूसरे पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ते।