देश के जिस बड़े वैज्ञानिक, यानी केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार डॉ विजय राघवन ने दो दिन पहले कहा था कि कोरोना की तीसरी लहर आना तय है, उन्हीं ने शुक्रवार की शाम को कहा है कि अगर कठोर कदम उठाए जाएं तो संभव है कि यह लहर सब जगह न आए और संभव तो यह भी है कि यह लहर कहीं भी न आए।

भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार डॉ विजय राघवन ने यह बात एक ट्वीट में कही है जिसे एएनआई ने उठाकर अपने ट्विटर हैंडल से जारी किया है। बयान कब और कहां और किस परिप्रेक्ष्य में दिया गया, इस बारे में कोई प्रकाश नहीं डाला गया है। बहरहाल, ट्वीट में इतना बता दिया गया है कि तीसरी लहर से लोकल सक्रियता ही बचा सकती है। वैज्ञानिक सलाहकार कहते हैं कि बचाव इस बात पर निर्भर करेगा कि राज्य, जिले और शहर निर्देशों को कितने प्रभावशाली ढंग से लागू कर पाते हैं। निर्देश किसके होंगे, यह बात ट्वीट में नहीं कही गई है।

उल्लेखनीय है कि वैज्ञानिक ने कहा था कि जिस स्तर पर वायरस का प्रसार हो रहा है उसे देखते हुए तीसरी लहर टाली नहीं जा सकती। मगर वह कब आएगी और कहां, यह भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि म्यूटेट करना वायरस के स्वभाव में है। हमको वैक्सीन लेनी होगी और कोविड से बचाव वाला आचरण करना होगा।

एक वैज्ञानिक का दो दिन के अंदर दो बयान देना सामान्य बात नहीं है। पहला बयान डरावना था और दूसरा राहत देने वाला। इस पर भले की तुरंत टिप्पणियां न हुई हों लेकिन विपक्ष इस पर सवाल उठाएगा जरूर। ऐसे वक्त में खासतौर पर जबकि केंद्र सरकार और खुद प्रधानमंत्री मोदी खुद आलोचना की जद में आने लगे हैं, विपक्ष का वैज्ञानिक की बातों पर सवाल उठाना लाजिमी है।

मीडिया भी सवाल कर सकता है। सोशल मीडिया तो अभी से सक्रिय हो उठा है। उल्लेखनीय है कि भाजपा के अपने डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने कल कहा था कि पीएमओ कोरोना से लड़ नहीं पा रहा। अतएव यह जिम्मा नितिन गडकरी को दे दिया जाए। स्वामी ने यह अपील खुद मोदी से की थी।