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सुप्रीम कोर्ट चुप था पर अखिलेश और ओवैसी नहीं, बनारस की कोर्ट ने वकील की दलील पर बढ़ाईं दोनों की मुश्किलें

एडवोकेट हरिशंकर पांडेय ने पहले भी बनारस की कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उनकी पहली रिट को कोर्ट नवंबर 2022 में एडमिट कर लिया था। 31 जनवरी को सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पिछले माह ये याचिका खारिज कर दी गई थी।

akhilesh yadav| samajwadi party|
समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव (पीटीआई फोटो)

ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के मामले में सपा चीफ अखिलेश यादव और AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दरअसल एक वकील की याचिका पर बनारस की कोर्ट ने दोनों नेताओं को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है। याचिका में मांग की गई है कि दोनों नेताओं के खिलाफ दो समुदायों के बीच वैमनस्य बढ़ाने के आरोप के तहत एफआईआर दर्ज की जाए।

पहली याचिका खारिज होने के बाद दाखिल की रिव्यू पटीशन

एडवोकेट हरिशंकर पांडेय ने पहले भी बनारस की कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उनकी पहली रिट को कोर्ट नवंबर 2022 में एडमिट कर लिया था। 31 जनवरी को सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पिछले माह ये याचिका खारिज कर दी गई थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अखिलेश यादव और ओवैसी के खिलाफ कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता। लिहाजा याचिका खारिज की जाती है।

अखिलेश और ओवैसी ने हिंदू समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाया

लेकिन हरिशंकर पांडेय कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने रिव्यू पटीशन दाखिल करके कोर्ट से अपील की कि वो अपने फैसले पर फिर से विचार करे। अदालत ने उनकी याचिका को स्वीकार करते हुए अखिलेश और ओवैसी को नोटिस जारी करके उनका जवाब मांगा है। हरिशंकर पांडेय का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी चुप्पी साध रखी थी। लेकिन अखिलेश और औवैसी लगातार ऐसे बयान देते रहे जिससे दोनों समुदायों के बीच वैमनस्य बढ़े।

याचिका में कहा गया है कि दोनों के खिलाफ केस दर्ज करके उनको अरेस्ट करने की जरूरत है। इससे दूसरे राजनेताओं को सबक मिलेगा और वो भविष्य में किसी भी संवेदनशील मामले में बेसिर पैर की बयानबाजी करने से गुरेज करेंगे।

एडवोकेट का कहना है कि दोनों नेताओं के बयानों से हिंदू समुदाय की भावनाओं को गहरी ठेस लगी है। शिव हमारे आराध्य हैं। मस्जिद परिसर में शिवलिंग मिलने के बाद हिंदू समुदाय बेहद खुश था। लेकिन इन दोनों नेताओं ने इस तरह के बयान दिए जिससे उनकी भावनाओं को आघात पहुंचा। गौरतलब है कि ज्ञापवापी परिसर में शिवलिंग मिलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगले आदेश तक इसका संरक्षण बढ़ाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष को वाराणसी के जिला न्यायाधीश के समक्ष आवेदन करने की अनुमति दी।

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First published on: 28-03-2023 at 16:29 IST
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