बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के परिवार पर ईडी लगातार शिकंजा कस रही है। प्रवर्तन निदेशालय ने लालू यादव के बेटे और बेटियों पर सिलसिलेवार छापेमारी के बाद कहा कि दिल्ली की पॉश न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में तेजस्वी यादव का बंगला महज 4 लाख रुपये में खरीदा गया था और इसकी बाजार कीमत अब 150 करोड़ रुपये है।
एजेंसी ने कहा कि संपत्ति, एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से पंजीकृत एक स्वतंत्र चार मंजिला बंगला है, जिसका स्वामित्व और नियंत्रण तेजस्वी यादव और परिवार के पास है।
ईडी का दावा..
प्रवर्तन निदेशालय (ED) के मुताबिक यह संदेह है कि इस संपत्ति को खरीदने में बड़ी मात्रा में नकदी और अपराध से अर्जित आय का उपयोग किया गया है। इस संबंध में रत्न और आभूषण क्षेत्र में काम करने वाली मुंबई स्थित कुछ संस्थाओं का उपयोग अपराध की अवैध आय को खपाने के लिए किया गया है। जांच एजेंसी ने कहा कि कागज पर, संपत्ति को एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के कार्यालय के रूप में घोषित किया गया है। हालांकि, इसका इस्तेमाल तेजस्वी यादव द्वारा आवासीय संपत्ति के रूप में किया जा रहा है।
ईडी ने जानकारी साझा की है कि तलाशी के दौरान तेजस्वी प्रसाद यादव इसी मकान में ठहरे हुए पाए गए और इस मकान को अपनी आवासीय संपत्ति के तौर पर इस्तेमाल करते पाए गए। ईडी ने लैंड फॉर जॉब घोटाले के संबंध में तलाशी के दौरान 1 करोड़ रुपये की नकदी, इसके अलावा, 1900 अमेरिकी डॉलर समेत 540 ग्राम गोल्ड और 1.5 किलोग्राम से ज्यादा सोने के जेवर बरामद किए हैं।
इंडिया टूडे की खबर के मुताबिक ईडी ने परिवार के सदस्यों और बेनामीदारों के नाम पर रखे गए विभिन्न प्रॉपर्टी दस्तावेजों, सेल डीड, भूमि बैंक समेत इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद किए हैं। ईडी को अब तक करीब 600 करोड़ रुपये की अपराध से अर्जित आय के सबूत मिले हैं. इनमें 350 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियां शामिल हैं. विभिन्न बेनामीदारों के जरिए 250 करोड़ रुपये के लेन-देन किए गए हैं।
ईडी का आरोप है कि अब तक की गई जांच से पता चला है कि तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के परिवार द्वारा रेलवे में नौकरी दिलाने के एवज में पटना और अन्य क्षेत्रों में प्रमुख जगहों पर कई जमीनों का अवैध रूप से अधिग्रहण किया गया था. इन जमीनों का वर्तमान बाजार मूल्य ₹ 200 करोड़ से ज्यादा है। इस संबंध में इन जमीनों के लिए कई बेनामीदारों, फर्जी संस्थाओं और लाभकारी मालिकों की पहचान हुई है।