फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सीतापुर में दर्ज मामले में ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर को पांच दिन की जमानत दे दी है लेकिन वे जमानत पर बाहर नहीं आ पाएंगे। वहीं, जुबैर की गिरफ्तारी के मामले के साथ-साथ जी न्यूज के एंकर रोहित रंजन के मामले पर भी सियासत गरमाई हुई है। इस पर टीवी डिबेट्स में भी तीखी बहस देखने को मिली है। इसी मुद्दे पर एक टीवी डिबेट के दौरान, एमपीसीआई के अध्यक्ष तसलीम रहमानी ने कहा कि हमें किसी भी धर्म का कानून नहीं चाहिए, हमें सिर्फ भारत का कानून चाहिए और वह हमारे पास है।
न्यूज24 पर ‘राष्ट्र की बात’ के दौरान, तसलीम रहमानी ने कहा, “हमारे देश में बहुत से कानून हैं और उन्हें कम करने की जरूरत है। हमारी संसद ने भी पिछले दिनों कई कानून खत्म किए हैं। नीति पर अमल करने के लिए नियत का होना बहुत जरूरी है। अगर नियत सही होगी तो नीति भी सही चलती रहेगी। ईशनिंदा तो गैर-मुस्लिमीन पर लागू ही नहीं होता है।”
उनका कहना था, “हम क्रिश्चियन लॉ को लेकर कब तक चलते रहेंगे।” वहीं, राजनीतिक विश्लेषक संगीत रागी ने तसलीम रहमानी की दलीलों पर पलटवार करते हुए कहा कि शाहबानो का जजमेंट कब आया था। उन्होंने कहा, “मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सड़कों पर उतर आया कि आपने हमारे पर्सनल लॉ में दखल कैसे दिया।”
मुस्लिम कोड बिल क्यों नहीं?: इस पर तसलीम रहमानी ने कहा कि ये डिबेट ही अलग है। उन्होंने कहा, “मैं ये इल्जाम सरकार के ऊपर लगाता हूं कि जब हिंदू कोड बिल लाया जा सकता है तो मुस्लिम कोड बिल क्यों नहीं लाया गया।” राजनीतिक विश्लेषक संगीत रागी का कहना था कि ‘ईशनिंदा’ कानून की जरूरत नहीं होनी चाहिए। लेकिन ‘एंटी हेट स्पीच’ कानून होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका में सिविल राइट्स एक होता है और वहां इस्लाम खतरे में नहीं आता, जबकि भारत में इस्लाम खतरे में आ जाता है।