तमिलनाडु में 1 तो बंगाल में 8 चरण में चुनाव कराने का फैसला क्यों हुआ? समझें पूरा गणित
चुनाव आयोग ने चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के लिए मतदान की तारीखों की घोषणा की।

आज चुनाव आयोग ने चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के लिए मतदान की तारीखों की घोषणा की। तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 6 अप्रैल को एक चरण में होगा तो वहीं पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 27 मार्च से 29 अप्रैल तक आठ चरणों में होंगे। ये जानकारी चुनाव आयोग ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दी। चुनावों के नतीजे 2 मई को घोषित किए जाएंगे। इस बीच पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग द्वारा आठ चरणों में वोटिंग कराए जाने पर सवाल खड़े किए हैं।
पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में चुनाव कराए जाने के पीछे ये वजह समझी जा रही है कि चुनाव आयोग चाहता है कि केरल, असम, तमिलनाडु और पुदुचेरी में पहले चुनाव हो जाएं और पश्चिम बंगाल में चुनाव आराम से कराए जाएं जिससे कि सुरक्षा बलों को पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोजित करा पाने में सहूलियत हो। आयोग के मुताबिक 6 अप्रैल तक असम, केरल, तमिलनाडु और पुदुचेरी में चुनाव पूरे हो जाएंगे और बाकी सुरक्षा बलों को बंगाल भेजा जा सकेगा।
बंगाल में सुरक्षा की चिंता के चलते चुनाव आयोग ने आठ चरणों में चुनाव कराने का फैसला लिया है। पिछली बार बंगाल में 6 चरणों में चुनाव आयोजित कराए गए थे। इस बार आठ चरणों में चुनाव कराने के पीछे वजह ये है कि चुनाव आयोग चाहता है कि बंगाल चुनाव में हिंसा न हो। कोई ऐसी घटना होती भी है तो उससे निपटा जा सके।
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मामले में बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह ने कहा कि आठ चरणों में चुनाव आयोग इसलिए चुनाव कराना चाहता है कि कहीं न कहीं आयोग को भी लगता है कि बंगाल में चुनाव कराना इतना आसान नहीं है। चुनाव को निष्पक्ष कराने के लिए आयोग को समय चाहिए था।
अर्जुन सिंह ने कहा कि मुझे लगता है कि ममता बनर्जी को सीएम पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। अर्जुन सिंह ने कहा कि जहां बाकी राज्यों में कम चरण में चुनाव हो रहे हैं वहीं पश्चिम बंगाल में इतना समय लग रहा है ये तो ममता बनर्जी के लिए शर्म की बात है।
उन्होंने कहा कि अगर चुनाव आयोग सफलतापूर्वक चुनाव करा लेता है तो ममता बनर्जी के लिए झटका है और बंगाल के लोगों के लिए खुशी की बात है।