वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में कोर्ट के आदेश के बाद कराए गए सर्वे और उसके बाद शिवलिंग मिलने के दावे के बाद सियासत गरमाई हुई है। इस मुद्दे पर वरशिप एक्ट 1991 को लेकर भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट किया था, जिसको लेकर भाजपा के नेता तजिंदरपाल सिंह बग्गा ने स्वामी को अयोध्या, काशी और मथुरा में हिंदू हितों पर पलीता लगाने वाला एक ‘झूठा आदमी’ और ‘गद्दार’ बताया है। बग्गा ने कहा कि समय आ गया कि सभी देशभक्त भारतीयों को डॉ. स्वामी की हिंदी विरोधी गतिविधियों के बारे में पता चले।
तजिंदरपाल सिंह बग्गा ने सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए सुब्रमण्यम स्वामी पर निशाना साधा और कहा, “पीएम मोदी ने 2016 में सुब्रमण्यम स्वामी को राज्यसभा भेजना सुनिश्चित किया। सांसद के रूप में अपने 6 साल के कार्यकाल में स्वामी ने कभी भी प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट, 1991 की बात नहीं की। लेकिन अब वह इन मुद्दों को उठा रहे हैं।”
भाजपा सांसद पर निशाना साधते हुए तजिंदरपाल सिंह बग्गा ने कहा, “हिन्दुओं के गद्दार स्वामी प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट की बात कर रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि 1991 में जब विधेयक लाया गया था तो उसका सबसे प्रबल समर्थक कौन था? यह स्वामी ही थे।”
इसके पहले, सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट करते हुए पीएम मोदी पर निशाना साधा था और कहा था कि लोकसभा में पूर्व बहुमत और राज्यसभा में वास्तविक बहुमत के 8 साल बाद भी मोदी प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट, 1991 को हटाने में विफल रहे हैं। उनसे इसकी उम्मीद थी।
सरकार इस एक्ट को रद्द क्यों नहीं करती- स्वामी
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी 1991 के एक्ट का हवाला देते हुए सर्वे कराने के कोर्ट के फैसले को गलत बता रहे हैं। वहीं, भाजपा के राज्यसभा सांसद सुबमण्यम स्वामी ने ओवैसी पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया था। स्वामी ने कहा था कि प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट, 1991 तत्कालीन सरकार द्वारा पारित एक अधिनियम है। मुझे समझ में नहीं आता कि वर्तमान सरकार इस एक्ट को रद्द क्यों नहीं कर सकती। मैंने इस बारे में कई बार प्रधानमंत्री को लिखा है कि एक प्रस्ताव पेश करें कि आप इसे वापस ले रहे हैं। फिर हम इस पर चर्चा करेंगे।”