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स्वीटी बूरा : विश्व प्रतियोगिता में सोना लाने वाली मुक्केबाज

भारतीय मुक्केबाज स्वीटी बूरा ने महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता है।

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स्वीटी बूरा। ( फोटो-इंडियन एक्‍सप्रेस)।

81 किलोग्राम वर्ग के फाइनल में स्वीटी चीन की वांग लीना को शिकस्त दी है। उन्होंने 25 मार्च को भारत को दूसरा स्वर्ण पदक दिलाया। उनके पहले 48 किलोग्राम भार वर्ग में नीतू घनघस ने सोना दिलाया था।

कबड्डी खिलाड़ी से मुक्केबाजी की विश्व चैंपियन तक किसान की बेटी स्वीटी बूरा के लिए आसान नहीं था। उन्होंने अपने पिता की सलाह पर मुक्केबाजी की ओर रुख किया। वर्ष 2009 में 15 साल की उम्र में बूरा ने मुक्केबाजी प्रशिक्षण केंद्र जाना शुरू किया। हिसार के घिराय गांव के किसान महेंद्र सिंह की बेटी स्वीटी को शुरू में काफी बाधाओं और रिश्तेदारों के विरोध से पार पाना पड़ा।

स्वीटी वर्ष 2014 की विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक विजेता थीं। 30 साल की इस मुक्केबाज ने हाल ही में जार्डन में एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था और भोपाल राष्ट्रीय चैंपियनशिप में अपने राष्ट्रीय खिताब का बचाव किया था। वे हरियाणा के हिसार की रहने वाली हैं। पिता महेंद्र सिंह बास्केटबाल के खिलाड़ी रहे। छोटा किसान होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर थी। गांव और रिश्तेदारों की विरोध के बाद भी पिता ने बेटी का साथ दिया। वर्ष 2009 में बेटी ने तीन महीने के भीतर स्टेट लेवल पर गोल्ड मेडल जीत पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।

स्वीटी के पति दीपक हुड्डा भारतीय कबड्डी टीम के खिलाड़ी हैं। वे प्रो कबड्डी लीग में बड़ा नाम हैं। उन्होंने स्वीटी को कभी भी मुक्केबाजी से नहीं रोका। पिछले साल ही दोनों की शादी हुई। शादी के 10 दिन बाद से ही स्वीटी ने प्रशिक्षण शुरू कर दिया। रोजाना वे आठ से 10 घंटे तक अभ्यास करती हैं। बूरा बताती हैं, मैंने अखिल भारतीय टूर्नामेंट के सभी स्तर को मिलाकर 24 स्वर्ण पदक जीते हैं। उन्होंने विश्व प्रतियोगिता के फाइनल में जब खेला तो उस वक्त उन्हें बुखार था। स्वर्ण पदक जीतने के बाद स्वीटी की मां सुरेश कुमारी ने बताया कि जब उसका फाइनल मुकाबला चल रहा था तो वह पूरा समय पूजा में लगी रही। उनकी बेटी ने उनका सपना पूरा कर दिया।

स्वीटी कहती हैं, नेशनल से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पदक हासिल कर देश का मान बढ़ाया। वर्ष 2021 के ओलिंपिक में किसी कारणवश चयन नहीं हो सका था, जिस पर मुझे लगा कि अब शायद आगे पदक नहीं ला सकूंगी। कई दिन तक प्रैक्टिस नहीं की। फिर पिता महेंद्र एवं बहन सीवी बूरा के कहने पर प्रैक्टिस शुरू की तथा एशियाई चैंपियनशिप में कांसा जीता। इसके बाद वर्ष 2022 में सोना जीता।

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First published on: 28-03-2023 at 07:09 IST