सोमवार को पत्रकारों पर हमला करने वाले पटियाला हाउस कोर्ट के कुछ आरोपी वकीलों ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी धता बता दिया। उन्होंने एक बार फिर पत्रकारों और देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर उस वक्त हमला कर दिया जब उन्हें पटियाला हाउस अदालत में पेश किया जा रहा था। इस घटना पर कार्रवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस सुरक्षा से लैस वकीलों की एक टीम को निचली अदालत में जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए भेजा। इस बीच अदालत ने कन्हैया कुमार को दो मार्च तक के लिए न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया। वकीलों के घेराव के कारण कन्हैया को पटियाला हाउस अदालत परिसर के अदालत कक्ष में तीन घंटे तक रखे जाने के बाद वहां से तिहाड़ जेल ले जाया गया।
इससे कुछ देर पहले ही शीर्ष अदालत ने सोमवार की हिंसा के मद्देनजर अदालत में शांति तय करने के मकसद से दिल्ली पुलिस को कुछ दिशानिर्देश जारी किए थे। लेकिन पुलिस देश की सबसे बड़ी अदालत के निर्देशों पर अमल के मामले में नाकाम रही।
भोजनाअवकाश के बाद वकील इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पटियाला हाउस अदालत में पेश करते वक्त कन्हैया पर पुलिस की मौजूदगी में ही पटियाला हाउस अदालत परिसर में फिर हमला कर दिया गया। इस पर मामले की सुनवाई कर रही शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा-हम कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंतित हैं।
उधर पटियाला हाउस अदालत में बुधवार को भी अराजकता की स्थिति दोहराई गई। वंदे मातरम के नारे लगाते और हाथों में तिरंगा लहराते विक्रम चौहान सहित कुछ अन्य वकीलों ने अदालत परिसर तक मार्च किया। चौहान सहित जिन अन्य वकीलों ने यह मार्च किया, उन पर ही सोमवार को पत्रकारों और जेएनयू के शिक्षकों और छात्रों पर अदालत परिसर के भीतर और बाहर हमले का आरोप था।
बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बावजूद वे अदालत परिसर में घुस गए, पत्रकारों पर हमला किया उनके मोबाइल छीन लिए और वीडियो फुटेज मिटा दिए और इन सबके बीच पुलिस तमाशबीन बनी रही। बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बावजूद अदालत परिसर में झड़प हो गई और वहां पुलिस की मौजूदगी के बाद भी वकील लगातार नारेबाजी करते रहे और पत्रकारों और छात्रों से लड़ते रहे। इस पर पीठ ने दिल्ली पुलिस के वकील से कहा कि वह पटियाला हाउस अदालत के हालात के बारे में जानकारी इकट्ठा कर 10 मिनट में उन्हें बताएं। अदालत ने यह भी कहा कि वह हालात का जायजा लेने के लिए स्थानीय आयुक्त नियुक्त कर सकती है।
इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार सुबह पटियाला हाउस अदालत से सही तस्वीर लाने के लिए जिन पांच वकीलों को तैनात किया था उन्होंने भी कहा कि अदालत दिल्ली पुलिस के आयुक्त से कहें कि वह हिंसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें, बेशक उनका पेशा कुछ भी हो। इंदिरा जयसिंह की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि कन्हैया पर अदालत परिसर में उस वक्त हमला किया गया जब उसे रिमांड की कार्यवाहियों के लिए पेश किया जा रहा था। इससे पहले दिन में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया था कि वह पटियाला हाउस अदालत परिसर में उचित और पर्याप्त सुरक्षा तय करे। अदालत ने आदेश दिया कि वहां लोगों की आवाजाही सीमित होगी जिसमें कार्यवाही के दौरान अदालत कक्ष में आरोपी और अभियोजन पक्ष के वकील होंगे। अदालत ने दिल्ली सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से यह भी कहा था कि वे पटियाला हाउस अदालत परिसर में मौजूद रहकर इस बात की जांच करें कि किन लोगों को अदालत परिसर या अदालत कक्ष में जाने की इजाजत दी जा रही है।
लेकिन पटियाला बाउस कोर्ट का माहौल अलग ही था, जब वकीलों के दो गुट नारेबाजी कर रहे थे। एक गुट में चार-पांच वकील थे जोे कन्हैया के समर्थन में थे और जिनका कहना था कि अदालत को तय करने दीजिए कि कौन भारत विरोधी है। जबकि वकीलों का दूसरा गुट, जिसमें ज्यादा लोग थे, वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे। दोनों गुटों के बीच झड़प हो गई और ज्यादा सदस्यों वाले गुट ने कम सदस्यों वाले गुट पर हमला कर दिया।
एक पत्रकार ने जब झड़प की तस्वीर लेनी चाही तो उनका फोन छीन लिया, तस्वीर मिटा दी गई और उसे मारा-पीटा गया। आइसा के सदस्य प्रमोद ने बताया कि वकीलों ने उनके सिर पर हमला किया। इसके अलावा एक न्यूज चैनल के कैमरामैन पर उस वक्त पत्थर फेंके गए जब उन्होंने अदालत परिसर की दीवार से अदालत में हो रही घटनाओं का वीडियो लेना चाहा।
इस बीच दिल्ली पुलिस के आयुक्त बीएस बस्सी ने जोर देकर कहा कि कन्हैया के खिलाफ काफी सबूत हैं और उस विवादित कार्यक्रम में कुछ बाहरी लोग भी आए थे जिसमें भारत विरोधी नारेबाजी की गई थी। प्रधानमंत्री कार्यालय से बाहर आने के बाद बस्सी ने कहा कि जेएनयू की घटना की जांच कर रहे अधिकारी मामले के सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारों से कहा-हमारे पास कन्हैया के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। मैं आपको जांच की प्रक्रिया और हमें मिले अब तक के सबूतों के बारे में नहीं बताऊंगा। बस्सी ने सुरक्षा एजंसियों के हवाले से मीडिया में आई उन खबरों को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया कि हो सकता है कन्हैया ने जेएनयू के कार्यक्रम में देश विरोधी नारेबाजी नहीं की हो और न ही कोई भड़काऊ भाषण दिया हो ।
जेएनयू की घटना पर जारी विवाद के बीच केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि विश्वविद्यालय में एक वैकल्पिक आवाज है और उसे भी सुना जाना चाहिए। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि जेएनयू भारत की बहुत प्रतिष्ठित संस्था है, बहुत सम्मानित भी है। इसने दिग्गज सिविल सेवक, बड़े शिक्षाविद और जानीमानी सार्वजनिक हस्तियां भी दी हैं। इसके छात्र और शिक्षक दोनों अपने क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
प्रसाद ने कहा-हम सभी का मानना है कि जेएनयू में एक भावपूर्ण, शक्तिशाली और रचनात्मक वैकल्पिक आवाज भी है। देश उस आवाज को भी सुनना चाहता है। उन्होंने दावा किया कि कैबिनेट की बैठक में जेएनयू विवाद पर चर्चा नहीं हुई। सोमवार को पत्रकारों पर हुए हमले के बारे में पूछे जाने पर महर्षि ने कहा कि दर्ज की गई प्राथमिकी के सिलसिले में जांच की जा रही है और दूसरी तरफ से भी प्राथमिकी दर्ज कराई गई है । उन्होंने कहा, कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। सोमवार को भी वकीलों ने पटियाला हाउस अदालत परिसर में पत्रकारों और जेएनयू के छात्रों एवं शिक्षकों पर हमला किया था। पत्रकारों ने इस हमले के खिलाफ प्रदर्शन किया था ।
कन्हैया कुमार के खिलाफ पर्याप्त सबूत: बस्सी
जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर दिल्ली पुलिस का रुख सख्त बना हुआ है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी ने बुधवार शाम कहा कि उनके पास कन्हैया कुमार के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। अब तक इस पूरे मामले में कन्हैया कुमार को पुलिस की ओर से क्लीन चिट नहीं दी गई है। पटियाला हाउस कोर्ट परिसर के बाहर बुधवार को कन्हैया के साथ हुई मारपीट के आरोप को भी बस्सी ने सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि कोर्ट परिसर के बाहर लोगों की भीड़ ज्यादा होने के कारण धक्का-मुक्की हुई लेकिन कोई मारपीट नहीं हुई।
बस्सी ने दावा किया कि 15 फरवरी को कोर्ट परिसर के बाहर हुई मारपीट को देखते हुए बुधवार को पुलिस ने सुरक्षा के ज्यादा पुख्ता इंतजाम किए थे। कन्हैया कुमार के चारों तरफ पुलिवालों ने घेरा बनाए रखा था ताकि कहीं से भी कोई उसे नुकसान न पहुंचा पाए।
बस्सी का कहना है कि भीड़ के कारण कन्हैया के एक पैर की चप्पल गिर गई और उसे बचाने के चक्कर में कुछ चोटें आर्इं। इन चोटों की मेडिकल जांच की जाएगी और उसके बाद इन चोटों की प्रकृति से साफ हो पाएगा कि मारपीट के कारण ये चोटें आई हैं या धक्कामुक्की के कारण।
बस्सी ने कहा कि अगली बार जब कन्हैया को कोर्ट में पेश किया जाएगा तो दूसरी रणनीति का इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस बार उनकी रणनीति बल के इस्तेमाल की नहीं थी बल्कि स्थिति को संभालने की थी। इसलिए उन्हें पुलिसकर्मियों के बेहद पास रखा गया था। पुलिस अधिकारी भीड़ के छंटने का इंतजार कर रहे थे। पुलिस अधिकारियों के साथ भी धक्कामुक्की की गई। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में अपील की है कि अगली अदालती कार्यवाही की जगह बदल दी जाए। उनका कहना है कि कोर्ट में हुई हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जारी निर्देशों का पूरी तरह पालन किया गया है।
बस्सी ने कहा कि अगर कन्हैया कुमार जमानत के लिए अर्जी देते हैं और उन्हें जमानत मिल जाती है तो दिल्ली पुलिस को इससे कोई परेशानी नहीं है। वह जमानत का विरोध नहीं करेगी। जेएनयू मामले में जांच प्रक्रिया की पूरी रिपोर्ट बस्सी गृह मंत्रालय को भेजेंगे। उनसे जब पूछा गया कि क्या मंत्रालय के दबाव में वे ऐसा करेंगे तो उन्होंने इसे नकारते हुए कहा कि वे खुद ऐसा करना चाहते हैं। उन पर कोई दबाव नहीं है। इस मामले में सारे फैसले दिल्ली पुलिस ही लेगी। बस्सी ने दावा किया कि वे खुले दिमाग से सभी मामलों की जांच करते हैं। इस मामले में भी उन्होंने कोई पूर्वग्रह नहीं रखा है। सबूत और तथ्य जिनके खिलाफ होंगे पुलिस उन पर कार्रवाई करेगी।
नेहा झा